क्षेत्रीय स्थिरता में अफगानिस्तान का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है अनिल त्रिगुणायत

क्षेत्रीय स्थिरता में अफगानिस्तान का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है  अनिल त्रिगुणायत
पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात को लेकर आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने इस यात्रा का असर भारत की विदेश नीति और पड़ोसी देशों (विशेषकर पाकिस्तान और चीन) के साथ संबंधों पर कैसा होगा, इस पर भी अपनी राय रखी।

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात को लेकर आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने इस यात्रा का असर भारत की विदेश नीति और पड़ोसी देशों (विशेषकर पाकिस्तान और चीन) के साथ संबंधों पर कैसा होगा, इस पर भी अपनी राय रखी।

उन्होंने कहा, "हमें तालिबान का विदेश मंत्री कहने के बजाय अफगानिस्तान का विदेश मंत्री कहना चाहिए, क्योंकि वह अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अफगानिस्तान और भारत के बहुत पुराने संबंध रहे हैं। चाहे किसी की भी सरकार रही हो, भारत ही एक ऐसा देश है, जिसने अफगानिस्तान के रिकंस्ट्रक्शन, डेवलपमेंट के लिए और उनके कैप्सूल बिल्डिंग के लिए सबसे बड़ा योगदान दिया। जब अफगानिस्तान अमेरिका के कंट्रोल में था, उस वक्त भी भारत ने लगभग 3 मिलियन डॉलर की सहायता दी थी, बड़े-बड़े प्रोजेक्ट वहां पर दिए थे। अफगान के लोग अच्छे तरीके से इस बात को देखते हैं, पहचानते हैं और समझते हैं। जब वहां पर सत्ता परिवर्तन हुआ था, तब भी वहां के लोगों ने भारतीयों से कहा था कि आपको जाने की जरूरत नहीं है।"

उन्होंने कहा कि फैक्टर रिकॉग्निशन तो सभी ने किया है। आप इंगेजमेंट कर रहे हैं, जो भी गवर्नमेंट वहां पर पावर में है, उसके साथ बातचीत कर रहे हैं, उसके साथ काम करते हैं, लेकिन फॉर्मल रिकॉग्निशन में थोड़ा टाइम लगेगा।

उन्होंने बताया, "रीजनल स्टेबिलिटी बहुत जरूरी है। इसमें अफगानिस्तान का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है। भारत को हमेशा से यही चिंता रही है, क्योंकि पाकिस्तान में जो स्थिति है, उसने पहले भी अफगानिस्तान का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया है और दोबारा भी करने की कोशिश कर सकता है। हमने देखा है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच में ही तनातनी बढ़ी हुई है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने यह बात कही है कि भारत के खिलाफ किसी भी तरीके की टेरेरिस्ट एक्टिविटी उनकी मिट्टी से नहीं होगी। यह एक बहुत बड़ा भरोसा दिया गया है और यह भारत का एक बहुत बड़ा कंसर्न भी था।"

उन्होंने कहा कि अभी हमारे साथ की बात नहीं है। उन्होंने पहले ही इस बात के लिए कह दिया है कि उनकी जमीन पर किसी भी तरीके का आतंकवाद नहीं पनपने दिया जाएगा। जब आए हैं तो उन्होंने सबसे पहले ही यही बात कही है कि वह अपनी जमीन से भारत के खिलाफ आतंकवाद को नहीं पनपने देंगे और यह पहली बार नहीं कहा है। पहलगाम में जब टेरर अटैक हुआ था, तो सबसे पहले उसकी निंदा करने वाला अफगानिस्तान ही था।

भारत में अमेरिकी दूतावास ने पाकिस्तान को मिसाइल बिक्री से संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स पर स्पष्टीकरण जारी किया है। इस पर उन्होंने कहा कि आज की तारीख में कई बार इस रिपोर्ट को बताना बहुत मुश्किल हो जाता है कि सच क्या है क्योंकि इतनी तेजी से न्यूज फैलती है, लेकिन जो व्हाइट हाउस से या कहीं से न्यूज आई है, पाकिस्तान को इस तरीके की मिसाइल बेच रहे हैं। अगर वह नहीं बेच रहे हैं तो बहुत अच्छी बात है, जैसा उनकी एंबेसी ने कहा है। मैं नहीं समझता हूं कि भारत को इससे सतर्क रहना चाहिए।

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Created On :   10 Oct 2025 6:31 PM IST

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