कुछ देश नियमों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं, भारत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पालन करता है राजनाथ सिंह

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में योगदान देने वाले देशों के लिए परामर्श, सहयोग, समन्वय और क्षमता निर्माण को मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि यही सूत्र उभरती चुनौतियों का सामना करने और वैश्विक शांति सुनिश्चित करने की कुंजी है। मंगलवार को रक्षा मंत्री नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शांति सेना योगदानकर्ता देशों के सम्मेलन में बोल रहे थे। इस आयोजन में 32 देशों के सेना प्रमुख व वरिष्ठ सैन्य कमांडर मौजूद थे।
यह पहला अवसर है जब भारत इस प्रतिष्ठित सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का विश्वगुरु बनने का सपना वर्चस्व का नहीं, बल्कि साझा और समावेशी विकास का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत की अहिंसा और सत्य की परंपरा विश्व शांति निर्माण में नई दिशा दे सकती है।
उन्होंने कहा, ''आज कुछ देश अंतरराष्ट्रीय नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। कुछ अपने नियम बनाकर विश्व पर प्रभुत्व जमाना चाहते हैं। ऐसे समय में भारत, नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध है। गांधीजी की भूमि पर शांति, न्याय, सौहार्द और नैतिक बल की स्थिति है, केवल युद्ध की अनुपस्थिति नहीं।''
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज शांति सैनिकों को अस्थिर वातावरण, विषम युद्ध, आतंकवाद, नाजुक राजनीतिक हालात, मानवीय संकट, महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और भ्रामक सूचना अभियानों जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे अभियानों के लिए विशेषकर तकनीकी और वित्तीय रूप से सक्षम देशों को सैनिक, पुलिस, लॉजिस्टिक्स, तकनीक और विशेषज्ञ क्षमताओं के रूप में अधिक समर्थन देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सुरक्षित संचार प्रणालियां, निगरानी तकनीक और मानव रहित प्लेटफॉर्म जैसे नवाचार मिशनों को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बना सकते हैं। आज की चुनौतियों से निपटने के लिए केवल बहादुरी ही नहीं, बल्कि नवाचार, अनुकूलन और व्यापक मिशन-स्तरीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। पुराने बहुपक्षीय ढांचे आज की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। यदि व्यापक सुधार नहीं किए गए, तो संयुक्त राष्ट्र विश्वास के संकट का सामना करेगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सुधारित बहुपक्षवाद ऐसा होना चाहिए जो वास्तविकताओं को दर्शाए, समकालीन चुनौतियों का समाधान करें और मानव कल्याण को केंद्र में रखे। भारत सदैव संयुक्त राष्ट्र के साथ खड़ा रहा है। पिछले दशकों में लगभग 290,000 भारतीय जवानों ने 50 से अधिक शांति मिशनों में सेवा दी है। कांगो और कोरिया से लेकर दक्षिण सूडान और लेबनान तक हमारे सैनिकों, पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों ने मानवता की रक्षा की है। भारत शांति अभियानों को अधिक प्रभावी एवं जवाबदेह बनाने हेतु सैनिक, विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए तैयार है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि शांति मिशनों की सफलता केवल संख्या पर नहीं, बल्कि तैयारी पर निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर यूनाइटेड नेशन पीस पीस कीपिंग ने अब तक 90 से अधिक देशों के प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया है। आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत ने शांति मिशनों के लिए प्लेटफार्म, सुरक्षित संचार, निगरानी प्रणाली, यूएवी और चिकित्सा समाधान जैसी किफायती स्वदेशी तकनीकें विकसित की हैं।
रक्षा मंत्री ने महिला शांति सैनिकों की भूमिका को सबसे प्रेरणादायक परिवर्तन बताया। उन्होंने कहा कि 2007 में लाइबेरिया में तैनात भारत की सर्व-महिला पुलिस इकाई ने वैश्विक सशक्तिकरण का प्रतीक बनकर एक पीढ़ी को प्रेरित किया। आज भारतीय महिला अधिकारी दक्षिण सूडान, गोलान हाइट्स और लेबनान जैसे मिशनों में नेतृत्व, सामुदायिक संवाद और प्रशिक्षण का कार्य कर रही हैं।
उन्होंने 2024 में संयुक्त राष्ट्र सैन्य जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवॉर्ड प्राप्त करने वाली भारतीय महिला अधिकारी का उल्लेख भी किया। भारतीय चिकित्सा दलों द्वारा अफ्रीका के विभिन्न मिशनों में हजारों नागरिकों और शांति सैनिकों का इलाज करने की सराहना भी उन्होंने की।
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Created On :   14 Oct 2025 2:40 PM IST