केदारताल सिर्फ ट्रेकिंग नहीं, बल्कि आत्मा और प्रकृति के संगम का अनुभव कराने वाला स्थल है हरीश नेगी

केदारताल सिर्फ ट्रेकिंग नहीं, बल्कि आत्मा और प्रकृति के संगम का अनुभव कराने वाला स्थल है हरीश नेगी
गंगोत्री नेशनल पार्क की ऊंचाइयों में स्थित केदारताल आज भी हिमालय की अनंत शांति और अद्भुत सौंदर्य का प्रतीक बना हुआ है। समुद्र तल से 4,750 मीटर की ऊंचाई पर बसी यह झील गंगोत्री-गौमुख-तपोवन परिदृश्य की सबसे मनोहारी ऊंचाई वाली झीलों में से एक मानी जाती है।

उत्तरकाशी, 14 अक्‍टूबर (आईएएनएस)। गंगोत्री नेशनल पार्क की ऊंचाइयों में स्थित केदारताल आज भी हिमालय की अनंत शांति और अद्भुत सौंदर्य का प्रतीक बना हुआ है। समुद्र तल से 4,750 मीटर की ऊंचाई पर बसी यह झील गंगोत्री-गौमुख-तपोवन परिदृश्य की सबसे मनोहारी ऊंचाई वाली झीलों में से एक मानी जाती है।

हिमनदों के पिघलते जल से निर्मित यह झील अपने निर्मल, क्रिस्टल जैसी पारदर्शी सतह पर थलय सागर, भृगुपंथ और मेरु की चोटियों का मोहक प्रतिबिंब समेटे हुए है।

गंगोत्री नेशनल पार्क के उपनिदेशक हरीश नेगी ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया, केदारताल केवल एक ट्रेकिंग स्थल नहीं है, यह आत्मा और प्रकृति के संगम का अनुभव कराने वाला स्थल है। यहां पहुंचने वाला हर व्यक्ति हिमालय की विराटता में अपनी छोटी-सी पहचान को नए अर्थों में समझता है।

गंगोत्री-केदारताल ट्रेक को पार्क के सबसे सुंदर लेकिन चुनौतीपूर्ण मार्गों में गिना जाता है। यह ट्रेक गंगोत्री से आरंभ होता है, जहां से चढ़ाइयों, देवदार के घने जंगलों, खड़ी पगडंडियों और चट्टानी हिमोढ़ों से गुजरते हुए यात्री इस दिव्य झील तक पहुंचते हैं।

नेगी बताते हैं कि केदारताल झील तक का मार्ग न केवल रोमांचक है, बल्कि हिमालयी पारिस्थितिकी के कई अद्भुत पहलुओं को भी उजागर करता है। रास्ते में दुर्लभ वनस्पतियां, हिमालयी ब्लू शीप (भरल) और काले भालू जैसे वन्यजीव देखे जा सकते हैं।

केदारताल का वातावरण वर्ष के अधिकांश समय शांत और ध्यानमय रहता है। झील के तट पर कुछ मौसमी शिविर और साधु-संतों के ध्यान स्थल हैं, जहां से थलय सागर और भृगुपंथ की चोटियां सूर्य की पहली किरणों में स्वर्णिम आभा बिखेरती हैं। सूर्योदय के समय झील का प्रतिबिंब ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्वयं हिमालय ध्यानमग्न हो।

नेगी का कहना है कि केदारताल क्षेत्र में पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए ट्रेकिंग गतिविधियों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। उन्‍होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि ट्रेकर्स यहां की शांति, स्वच्छता और पारिस्थितिकी का सम्मान करें। केदारताल हिमालय का पवित्र रत्न है, जिसे हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना होगा।

केदारताल का प्राकृतिक सौंदर्य केवल आंखों को नहीं, बल्कि आत्मा को भी छूता है। इस झील के किनारे खड़े होकर जब यात्री हिमालय की ऊंचाई, हवा की ठंडक और झील की मौनता को महसूस करते हैं तो यह अनुभव किसी ध्यानस्थ अवस्था से कम नहीं होता।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   14 Oct 2025 11:33 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story