बर्थडे स्पेशल तीन उपलब्धियां जो अनिल कुंबले को शेन वॉर्न और मुरलीधरन से अलग करती हैं

बर्थडे स्पेशल तीन उपलब्धियां जो अनिल कुंबले को शेन वॉर्न और मुरलीधरन से अलग करती हैं
शेन वॉर्न, मुथैया मुरलीधरन और अनिल कुंबले का नाम क्रिकेट इतिहास के महानतम स्पिनरों में शुमार किया जाता है। तीनों लगभग एक ही समय में खेले और अपनी-अपनी टीमों के सबसे बड़े मैच विनर के रूप में प्रतिष्ठित रहे। क्रिकेट इतिहास के पांच सफलतम गेंदबाजों में इन तीनों का नाम शुमार है। शेन वॉर्न और कुंबले लेग स्पिनर रहे, तो मुथैया मुरलीधरन ऑफ स्पिनर थे। तीनों की अपनी-अपनी खासियत रही। तीनों में श्रेष्ठ कौन हैं, इस पर भी विशेषज्ञों के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं। लेकिन, कुंबले ने अपने करियर में तीन ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जो उन्हें वॉर्न और मुरलीधरन से अलग करती है।

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। शेन वॉर्न, मुथैया मुरलीधरन और अनिल कुंबले का नाम क्रिकेट इतिहास के महानतम स्पिनरों में शुमार किया जाता है। तीनों लगभग एक ही समय में खेले और अपनी-अपनी टीमों के सबसे बड़े मैच विनर के रूप में प्रतिष्ठित रहे। क्रिकेट इतिहास के पांच सफलतम गेंदबाजों में इन तीनों का नाम शुमार है। शेन वॉर्न और कुंबले लेग स्पिनर रहे, तो मुथैया मुरलीधरन ऑफ स्पिनर थे। तीनों की अपनी-अपनी खासियत रही। तीनों में श्रेष्ठ कौन हैं, इस पर भी विशेषज्ञों के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं। लेकिन, कुंबले ने अपने करियर में तीन ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जो उन्हें वॉर्न और मुरलीधरन से अलग करती है।

अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में दिल्ली में खेले गए टेस्ट में एक पारी में सभी 10 विकेट लिए थे। शेन वॉर्न और मुरलीधरन अपने पूरे करियर में कभी भी एक पारी में 10 विकेट नहीं ले सके।

कुंबले ने 2007 में इंग्लैंड में द ओवल में आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 110 रन की पारी खेली थी। वॉर्न और मुरलीधरन कभी अपने करियर में शतक नहीं लगा सके।

टेस्ट टीम की कप्तानी करना किसी भी क्रिकेटर का सपना होता है। अनिल कुंबले ने 2007 से 2008 के बीच 14 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की थी। शेन वॉर्न और मुरलीधरन को कभी ये मौका नहीं मिला। शेन वॉर्न ने कुछ वनडे मैचों में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की थी, लेकिन टेस्ट में उन्हें कप्तानी का मौका कभी नहीं मिला। वहीं मुरलीधरन को श्रीलंका की कप्तानी का मौका कभी नहीं मिला था।

ये तीन ऐसी उपलब्धियां हैं जो एक संपूर्ण क्रिकेटर के रूप में अनिल कुंबले के कद को वॉर्न और मुरलीधरन से अलग बनाती हैं।

17 अक्टूबर 1970 को बेंगलुरु, कर्नाटक में जन्मे कुंबले ने 20 साल की उम्र में भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था। कुंबले भारत के सफलतम गेंदबाज हैं। कुंबले ने 132 टेस्ट में 619 और 271 वनडे में 337 विकेट लिए हैं। क्रिकेट इतिहास के सफलतम गेंदबाजों में कुंबले का नाम चौथे नंबर पर है। वहीं टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में भी कुंबले चौथे स्थान पर हैं।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   16 Oct 2025 8:23 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story