छत्तीसगढ़ रामानुजगंज की महिलाएं स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं

छत्तीसगढ़ रामानुजगंज की महिलाएं स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ किए गए स्वच्छ भारत मिशन का असर देशभर में साफ नजर आ रहा है। इसका सजीव उदाहरण छत्तीसगढ़ में बलरामपुर जिले के रामानुजगंज नगर पालिका क्षेत्र में देखने को मिलता है। यहां की महिलाएं स्वच्छता को केवल अपनाने तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि इसे अपनी आजीविका और आत्मनिर्भरता का माध्यम भी बना लिया है।

बलरामपुर, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ किए गए स्वच्छ भारत मिशन का असर देशभर में साफ नजर आ रहा है। इसका सजीव उदाहरण छत्तीसगढ़ में बलरामपुर जिले के रामानुजगंज नगर पालिका क्षेत्र में देखने को मिलता है। यहां की महिलाएं स्वच्छता को केवल अपनाने तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि इसे अपनी आजीविका और आत्मनिर्भरता का माध्यम भी बना लिया है।

महिलाएं दीपावली के पावन अवसर पर दीए बनाकर आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।

रामानुजगंज की विभिन्न स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाएं नियमित रूप से घर-घर जाकर कचरा एकत्र करती हैं। पहले यह जिम्मेदारी नगर पालिका या पुरुष सफाईकर्मियों तक सीमित थी, लेकिन अब महिलाएं भी सक्रिय भागीदार बन चुकी हैं। यह प्रयास स्वच्छता के साथ-साथ उनके आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

महिलाएं केवल कचरा इकट्ठा करने तक सीमित नहीं रहीं, उन्होंने इसे उचित प्रबंधन और आय के साधन में बदल दिया है। सूखा और गीला कचरा अलग करके उसका पुनर्चक्रण किया जाता है। गीले कचरे से जैविक खाद (कंपोस्ट) तैयार की जाती है, जिसे स्थानीय किसान खरीदते हैं। वहीं, प्लास्टिक, कागज और लोहा जैसे सूखे कचरे को कबाड़ के रूप में बेचकर एसएचजी में आर्थिक लाभ जुटाया जा रहा है।

स्वच्छता के साथ-साथ ये महिलाएं सामुदायिक जागरूकता फैलाने में भी सक्रिय हैं। वे लोगों को स्वच्छता के महत्व, कचरा प्रबंधन और साफ-सफाई की आदतों के बारे में मार्गदर्शन देती हैं।

इस दीपावली, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने नई रचनात्मक पहल करते हुए गोबर, मिट्टी और प्राकृतिक संसाधनों से दीए (दीपक) बनाना शुरू किया है। ये दीए न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि उनकी कलात्मकता और सजावट लोगों को आकर्षित कर रही है। स्थानीय बाजारों में इन दीयों की खूब मांग है। पारंपरिक और आधुनिक डिजाइनों में बने ये दीए महिलाओं के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत भी बने हैं।

वन महिला स्वयं सहायता समूह की सचिव सरस्वती ठाकुर ने बताया कि साल 2016-17 से महिलाएं डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करती आ रही हैं। कचरा संग्रहण के बाद उनके पास जो समय बचता है, उसमें वे आर्थिक सशक्तीकरण की गतिविधियां करती हैं। दीपावली के अवसर पर बनाए गए दीयों की कीमत प्रति दीया तीन रुपए रखी गई है, जिससे महिलाएं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं।

जिला समन्वयक विनीत कुमार गुप्ता ने कहा कि नगर पालिका के सहयोग से स्वच्छता अभियान और दीया निर्माण से महिलाओं को अतिरिक्त आय मिल रही है। कचरा संग्रहण में मिलने वाले प्लास्टिक आदि का पुनर्चक्रण कर भी समूह के लिए संसाधन जुटाए जा रहे हैं।

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Created On :   16 Oct 2025 9:43 PM IST

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