कीर्ति वर्धन सिंह ने युगांडा के विदेश मंत्री से की मुलाकात, व्यापार और रक्षा समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा

कीर्ति वर्धन सिंह ने युगांडा के विदेश मंत्री से की मुलाकात, व्यापार और रक्षा समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा
भारत के विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी कागुटा मुसेवेनी के बाद अब विदेश मंत्री ओडोंगो जेजे अबुबखर से भी मुलाकात की। इस मुलाकात की तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कीं।

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत के विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी कागुटा मुसेवेनी के बाद अब विदेश मंत्री ओडोंगो जेजे अबुबखर से भी मुलाकात की। इस मुलाकात की तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कीं।

सोशल मीडिया पोस्ट में कीर्ति वर्धन सिंह ने लिखा, "युगांडा गणराज्य के विदेश मंत्री, महामहिम ओडोंगो जेजे अबुबखर से मिलकर प्रसन्नता हुई। भारत और युगांडा के बीच ऐतिहासिक संबंधों और आपसी सम्मान पर आधारित मधुर संबंध हैं। हमने व्यापार, रक्षा, विकास सहयोग और क्षमता निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को मजबूत और विस्तारित करने पर उपयोगी चर्चा की।"

वहीं युगांडा के राष्ट्रपति से मुलाकात की तस्वीरें साझा कर कीर्ति वर्धन सिंह ने लिखा, "युगांडा गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम योवेरी कागुटा मुसेवेनी से मुलाकात करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्तिगत शुभकामनाएं देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भारत और युगांडा के बीच पारंपरिक और बहुआयामी साझेदारी को और प्रगाढ़ बनाने के लिए उनके व्यावहारिक मार्गदर्शन की सराहना करता हूं।"

बता दें कि कीर्ति वर्धन सिंह कंपाला में आयोजित गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के 19वें मध्यावधि मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में शामिल होने के लिए युगांडा में मौजूद हैं। कीर्ति वर्धन सिंह भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन 15 और 16 अक्टूबर को किया गया।

युगांडा 2024-26 की अवधि के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन का अध्यक्ष है। इस साल, मध्यावधि मंत्रिस्तरीय बैठक 'साझा वैश्विक समृद्धि के लिए सहयोग को गहरा करना' विषय पर आधारित है।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना औपनिवेशिक व्यवस्था के पतन और अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका, और दुनिया के अन्य क्षेत्रों के लोगों के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी। आंदोलन के शुरुआती दिनों में, उपनिवेशवाद-विमुक्ति की प्रक्रिया में गुटनिरपेक्ष आंदोलन का काम अहम था। इसकी वजह से आगे चलकर कई देशों और लोगों को स्वतंत्रता और स्वाधीनता प्राप्त हुई और दर्जनों नए संप्रभु राज्यों की स्थापना हुई।

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Created On :   16 Oct 2025 8:56 PM IST

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