बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में निम्न दबाव क्षेत्र सक्रिय, मौसम विभाग की चेतावनी

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में निम्न दबाव क्षेत्र सक्रिय, मौसम विभाग की चेतावनी
देश के दक्षिणी तटीय इलाकों के लिए मौसम विभाग ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर, दोनों ही क्षेत्रों में निम्न दबाव के असर से मौसम में बड़े बदलाव की संभावना जताई गई है।

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश के दक्षिणी तटीय इलाकों के लिए मौसम विभाग ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर, दोनों ही क्षेत्रों में निम्न दबाव के असर से मौसम में बड़े बदलाव की संभावना जताई गई है।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन सिस्टम्स के कारण तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश और केरल के तटीय इलाकों में अगले कुछ दिनों तक बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने ऊपरी हवा के चक्रवाती परिसंचरण के प्रभाव से मंगलवार की सुबह 5:30 बजे, दक्षिण पश्चिम बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव क्षेत्र बना। सिर्फ तीन घंटे बाद, सुबह 8:30 बजे तक यह सिस्टम और मजबूत होकर 'वेल मार्क्ड लो प्रेशर एरिया' में बदल गया।

मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि यह सिस्टम उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ेगा और 22 अक्टूबर की दोपहर तक, दक्षिण-पश्चिम और उससे सटे पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन में तब्दील हो सकता है। यह डिप्रेशन उत्तर तमिलनाडु, पुडुचेरी, करैक्कल और दक्षिण आंध्र प्रदेश के तटों के पास समुद्र में बनेगा। इसके बाद अगले 24 घंटों में इसके तीव्र होने और आगे बढ़ने की संभावना है।

उधर, अरब सागर के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में भी एक अन्य वेल मार्क्ड लो प्रेशर एरिया सक्रिय है। मौसम विभाग के अनुसार, यह सिस्टम सोमवार से उसी स्थान पर बना हुआ है और मंगलवार की सुबह 8:30 बजे तक वहीं पर मौजूद था।

पूर्वानुमान के मुताबिक, यह दबाव क्षेत्र अब धीरे-धीरे पश्चिम की ओर बढ़ेगा और अगले 24 घंटों में एक दबाव के रूप में विकसित हो सकता है।

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों में समुद्री स्थिति खराब हो सकती है। इसलिए, मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे अगले कुछ दिनों तक समुद्र में न जाएं।

तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में मध्यम से भारी वर्षा की संभावना है। साथ ही, तेज हवाएं (40–50 किमी/घंटा तक) चल सकती हैं, जो नावों और छोटे जहाजों के लिए खतरा बन सकती हैं।

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Created On :   21 Oct 2025 10:55 PM IST

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