लोक आस्था का महापर्व छठ पर होती है सूर्य की उपासना, जानें देश के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों के बारे में

लोक आस्था का महापर्व  छठ पर होती है सूर्य की उपासना, जानें देश के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों के बारे में
दीपावली के छह दिन बाद मनाया जाने वाला आस्था का महापर्व छठ पर्व शनिवार से नहाए खाए के साथ शुरू हो गया है। छठ पर्व में सूर्य भगवान और छठी मैया की सयुंक्त आराधना की जाती है।

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दीपावली के छह दिन बाद मनाया जाने वाला आस्था का महापर्व छठ पर्व शनिवार से नहाए खाए के साथ शुरू हो गया है। छठ पर्व में सूर्य भगवान और छठी मैया की सयुंक्त आराधना की जाती है।

माना जाता है कि सूर्य भगवान और छठी मैया के बीच भाई-बहन का रिश्ता था। छठ पर्व में भगवान सूर्य की आराधना के साथ-साथ सूर्य भगवान की दोनों शक्तियां (पत्नी) प्रत्युषा और उषा को अर्घ्य दिया जाता है। कहा जाता है कि प्रत्युषा और उषा के बिना भगवान सूर्य शक्ति विहीन है। आज छठ के पर्व के दिन हम देश के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के बारे में बात करेंगे, जहां की वास्तुकला, विज्ञान और पौराणिक कथा हैरान कर देगी।

सूर्य मंदिर रामगढ़ चितरपुर प्रखंड के मारंगमरचा गांव में है। मंदिर की हालत बहुत जर्जर है क्योंकि मंदिर को 16वीं शताब्दी में रामगढ़ राजा दलेर सिंह ने बनवाया था। मंदिर की आस्था का केंद्र मंदिर में बना कुंड है। कहा जाता है कि मंदिर में बना कुंड किसी भी मौसम में नहीं सूखता है।

ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर विश्व के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से एक है। इसकी स्थापना गंग राजवंश के शासक नरसिंह देव प्रथम ने करवाई थी। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर को यूनेस्को ने साल 1984 में विश्व धरोहर स्थल की सूची में स्थान दिया था। ये मंदिर सूर्य भगवान के रथ के रूप में समर्पित किया गया है जिसमें 24 पहिए हैं और 11 घोड़े उसे खींच रहे हैं।

बिहार के गया में बना सूर्य मंदिर भी अपनी प्राचीनतम बनावट और कुंड के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में बने कुंड की मान्यता बहुत है, और छठ के मौके पर मेला लगता है और भक्त इस कुंड में स्नान करने के लिए आते हैं। माना जाता है कि कुंड में स्नान करने के बाद भक्त जो भी मनोकामना भगवान सूर्य से मांगते हैं, वह जरूर पूरी होती है। मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था।

गुजरात के मोढेरा में बना सूर्य मंदिर 1000 साल पुराना है। यह मंदिर फिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी और अध्यात्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में साल में दो दिन सूर्य की रोशनी मंदिर के गर्भगृह में मौजूद तक पहुंचती है और प्रतिमा को छूती है। यह भौगोलिक घटना "सोलर इक्विनॉक्स" के दिन होती है, जो साल में दो दिन होता है।

इस दिन सूर्य सीधे पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ऊपर होता है और दिन और रात बराबर घंटों के होते हैं। ये मुख्यत मार्च और दिसंबर के महीने में होता है। बिहार के औरंगाबाद जिले में मौजूद सूर्य मंदिर अपने अनोखे पूजा-पाठ की वजह से जाना जाता है। यहां मंदिर में उगते सूरज की तो पूजा होती है, लेकिन शाम को ढलते सूरज की पूजा भी की जाती है। छठ के मौके पर यहां भक्तों का मेला लग जाता है।

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Created On :   25 Oct 2025 3:17 PM IST

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