गोवा हाल के 'अपहरण प्रयास' के तीनों मामले झूठे साबित, पुलिस ने माता-पिता को दी सलाह

गोवा हाल के अपहरण प्रयास के तीनों मामले झूठे साबित, पुलिस ने माता-पिता को दी सलाह
गोवा में हाल ही में बच्चों के कथित अपहरण प्रयासों की खबरों ने अभिभावकों में दहशत पैदा कर दी थी, लेकिन पुलिस जांच में ये तीनों मामले पूरी तरह झूठे पाए गए हैं।

पणजी, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। गोवा में हाल ही में बच्चों के कथित अपहरण प्रयासों की खबरों ने अभिभावकों में दहशत पैदा कर दी थी, लेकिन पुलिस जांच में ये तीनों मामले पूरी तरह झूठे पाए गए हैं।

उत्तर गोवा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि इन घटनाओं का कोई आधार नहीं है और ये शैक्षणिक दबाव या व्यक्तिगत कारणों से गढ़ी गई कहानियां हैं। एसपी ने माता-पिता से अपील की है कि वे शांत रहें, अफवाहें न फैलाएं और बच्चों को जिम्मेदारी से बोलने की आदत डालें।

पहला मामला 6 अक्टूबर को वालपोई पुलिस थाने में दर्ज हुआ। यहां बीएनएस की धारा 115(2) के साथ 3(5) और गोवा बाल अधिनियम की धारा 8 के तहत प्राथमिकी 57/2025 दर्ज की गई। एक 12 वर्षीय लड़के ने दावा किया कि भुइपाल में अपनी मौसी के घर से लौटते समय सफेद ओमनी कार सवार दो अज्ञात व्यक्तियों ने उसका अपहरण करने की कोशिश की। लेकिन स्थानीय लोगों की जांच और सबूतों की कमी से साफ हो गया कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं। पुलिस ने इसे एक काल्पनिक कहानी करार दिया।

दूसरा मामला 9 अक्टूबर को बिचोलिम पुलिस स्टेशन में सामने आया। एफआईआर 137/2025 यू/एस 137(2) आर/डब्ल्यू 62, बीएनएस 3(5) और गोवा चिल्ड्रन एक्ट 2003 की धारा 8 के तहत अमोना गांव में एक 13 वर्षीय लड़के ने शिकायत की कि स्कूल से लौटते समय एमएच पंजीकृत इको वाहन में सवार चार अज्ञात पुरुषों ने अपहरण का प्रयास किया। जांच में पता चला कि यह पूरी तरह झूठा है। पीड़ित लड़के ने खुद स्वीकार किया कि माता-पिता के पढ़ाई के दबाव से बचने के लिए उसने यह कहानी गढ़ी।

तीसरा मामला आज ही 26 अक्टूबर (शुक्रवार) को पणजी पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ। तालेइगाओ क्षेत्र में एक 12 वर्षीय लड़के ने स्कूल से लौटते समय अपहरण प्रयास की शिकायत की। पुलिस ने तत्काल जांच शुरू की और प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, यह भी झूठा प्रतीत हो रहा है। एसपी ने कहा कि सभी मामलों की गहन जांच पूरी हो चुकी है और कोई सबूत नहीं मिला।

एसपी उत्तर गोवा ने बयान में कहा, "ये मामले समाज में दहशत फैलाने वाले हैं। बच्चे कभी-कभी तनाव या व्यक्तिगत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी कहानियां बनाते हैं।" उन्होंने माता-पिता को सलाह दी कि वे असत्यापित जानकारी को सोशल मीडिया पर शेयर न करें, जो अफवाहों को हवा देती है। छात्रों से अपील की गई है कि कठिनाइयों का सामना करने पर माता-पिता, शिक्षकों या स्कूल काउंसलर से बात करें, न कि गलत सूचना फैलाएं।

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Created On :   26 Oct 2025 8:00 PM IST

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