भुवनेश्वर में मनाया गया बोइता बंदना उत्सव, लोगों ने नाव तैराकर याद किया इतिहास

भुवनेश्वर में मनाया गया बोइता बंदना उत्सव, लोगों ने नाव तैराकर याद किया इतिहास
कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर भक्त पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान की आराधना कर रहे हैं।

भुवनेश्वर, 5 नवंबर (आईएएनएस)। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर भक्त पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान की आराधना कर रहे हैं।

हरिद्वार से लेकर संगम तट पर भक्त पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी से सुख-समृद्धि की कामना कर हैं। वहीं, उड़ीसा के भुवनेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा का अलग रंग देखने को मिल रहा है, जहां भक्त स्नान करने के साथ-साथ पारंपरिक उत्सव बोइता बंदना मना रहे हैं। ये उत्सव कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है और इसका अपना गौरवशाली इतिहास भी है।

बोइता बंदना उत्सव का महत्व बताते हुए श्रद्धालु ने कहा कि "पारंपरिक उत्सव बोइता बंदना कई सालों से मनाया जा रहा है। हमारे पूर्वज पहले नाव के जरिए नदियों के रास्ते व्यापार करने दूर-दूर जाते थे, उसी परंपरा को जारी रखते हुए कार्तिक पूर्णिमा के दिन बोइता बंदना उत्सव मनाया जाता है। इसके लिए सभी लोग कागज की, केलों के छिलके की, और लकड़ी की नाव बनाकर नदी में तैराते हैं और उड़ीसा की समृद्धि की कामना करते हैं।

बोइता बंदना उत्सव पर महापौर सुलोचना दास ने आईएएनएस से कहा, "कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर, बिंदु सागर के तट पर वार्षिक बोइता बंदना उत्सव शुरू होता है। पूर्व मंत्री अशोक चंद्र पांडा के मार्गदर्शन में आयोजित इस सांस्कृतिक उत्सव में, घाटों पर छोटी नावें तैराने के लिए हजारों लोग इकट्ठे होते हैं।"

बता दें कि बोइता बंदना उत्सव का महत्व प्राचीन है, जो उड़ीसा के गौरवशाली समुद्री और व्यापारिक इतिहास से जुड़ा है। ये त्योहार पुराने नाविकों और दक्षिण-पूर्वी इलाकों के व्यापार को दर्शाता है, यानी कैसे समुद्र के जरिए ओडिशा के लोग व्यापार करने के लिए दूर-दराज के इलाकों में जाते थे। ये उत्सव हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

इसके अलावा झारखंड के जमशेदपुर में भी कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालु स्वर्णरेखा नदी के विभिन्न तटों पर पवित्र स्नान करने और भगवान विष्णु और भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचे हैं। भक्तों ने सूर्योदय के साथ स्नान किया और अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दी। भक्तों को भगवान विष्णु और भगवान जगन्नाथ के मंदिरों में दर्शन करते हुए देखा गया।

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Created On :   5 Nov 2025 10:56 AM IST

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