यूपी में पहली बार पीजीआई ने घुटना सर्जरी में हासिल की उपलब्धि, दो हाई-टेक तकनीकों से जटिल ऑपरेशन सफल

यूपी में पहली बार पीजीआई ने घुटना सर्जरी में हासिल की उपलब्धि, दो हाई-टेक तकनीकों से जटिल ऑपरेशन सफल
संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) ने उत्तर प्रदेश में उन्नत आर्थोपेडिक सर्जरी का नया मानक स्थापित करते हुए पहली बार दो अत्याधुनिक तकनीकों को एक साथ उपयोग कर जटिल घुटना सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया है। एसजीपीजीआईएमएस के आर्थोपेडिक विभाग ने दो हाई-एंड तकनीकों—आर्थ्रोस्कोपिक माइक्रोफ्रैक्चर और हाइब्रिड हाई टिबियल ऑस्टियोटॉमी—को एक ही ऑपरेशन में संयोजित करते हुए सफल घुटना सर्जरी की है।

लखनऊ, 18 नवंबर (आईएएनएस)। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) ने उत्तर प्रदेश में उन्नत आर्थोपेडिक सर्जरी का नया मानक स्थापित करते हुए पहली बार दो अत्याधुनिक तकनीकों को एक साथ उपयोग कर जटिल घुटना सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया है। एसजीपीजीआईएमएस के आर्थोपेडिक विभाग ने दो हाई-एंड तकनीकों—आर्थ्रोस्कोपिक माइक्रोफ्रैक्चर और हाइब्रिड हाई टिबियल ऑस्टियोटॉमी—को एक ही ऑपरेशन में संयोजित करते हुए सफल घुटना सर्जरी की है।

इस जटिल प्रक्रिया के बाद 46 वर्षीय महिला मरीज तेजी से स्वस्थ हो रही है और सामान्य रूप से चलने लगी है। मरीज कई वर्षों से तीव्र घुटना दर्द, सूजन और चलने-फिरने में परेशानी झेल रही थी। वेरस विकृति (बो-लेग्ड) के कारण वजन घुटने के अंदरूनी हिस्से पर ज्यादा पड़ रहा था, जिससे कार्टिलेज लगातार क्षतिग्रस्त हो रहा था। दवाओं और फिजियोथेरेपी से राहत न मिलने पर परिजन उन्हें एसजीपीजीआईएमएस लेकर पहुंचे, जहां विस्तृत जांच के बाद विशेषज्ञों ने सर्जरी को अंतिम समाधान माना।

सर्जरी का नेतृत्व एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के आर्थोपेडिक्स विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार ने किया। टीम ने दो चरणों में ऑपरेशन पूरा किया। पहले चरण में आर्थ्रोस्कोपिक माइक्रोफ्रैक्चर तकनीक का उपयोग कर हड्डी के नीचे नई फाइब्रोकार्टिलेज बनने की प्रक्रिया शुरू की गई, जिससे दर्द में कमी और जोड़ की कुशनिंग मजबूत होने की संभावना बढ़ी।

दूसरे और सबसे चुनौतीपूर्ण चरण में हाइब्रिड हाई टिबियल ऑस्टियोटॉमी की गई। इसमें टिबिया की हड्डी को नियंत्रित रूप से काटकर दुबारा ऐसा संरेखित किया गया कि शरीर का भार क्षतिग्रस्त हिस्से से हटकर घुटने के स्वस्थ हिस्से पर आने लगे। यह तकनीक न केवल विकृति सुधारती है, बल्कि प्राकृतिक जोड़ की उम्र भी बढ़ाती है। डॉ. अमित कुमार के मुताबिक संयुक्त सर्जरी युवा और सक्रिय मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है, क्योंकि यह घुटना प्रत्यारोपण की आवश्यकता को काफी हद तक टाल देती है।

संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रो. आर.के. धीमन ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रदेश में उन्नत आर्थोपेडिक उपचार का नया अध्याय खोलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अत्याधुनिक तकनीक उन मरीजों के लिए आशा की किरण है, जो गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस या वेरस विकृति से लंबे समय से परेशान हैं और पारंपरिक उपचारों से लाभ नहीं पा सके हैं।

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Created On :   18 Nov 2025 5:45 PM IST

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