'बुलडोजर कार्रवाई' पर कानून का उल्लंघन करने वाले अफसरों पर हो सकती है अवमानना की कार्रवाई जस्टिस बीआर गवई

बुलडोजर कार्रवाई पर कानून का उल्लंघन करने वाले अफसरों पर हो सकती है अवमानना की कार्रवाई जस्टिस बीआर गवई
पूर्व सीजेआई जस्टिस बीआर गवई ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस के साथ विशेष साक्षात्कार में न्यायपालिका, सरकार, संविधान और महिलाओं की भागीदारी पर खुलकर बात की। उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखी।

नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। पूर्व सीजेआई जस्टिस बीआर गवई ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस के साथ विशेष साक्षात्कार में न्यायपालिका, सरकार, संविधान और महिलाओं की भागीदारी पर खुलकर बात की। उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखी।

इस दौरान 'बुलडोजर कार्रवाई' से जुड़े सवाल पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में साफ कहा था कि यदि कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने बताया कि आदेश में पूरी कानूनी प्रक्रिया भी स्पष्ट कर दी गई थी।

पूर्व सीजेआई ने कहा, "अगर कोई अधिकारी कोर्ट की प्रक्रिया का पालन नहीं करता तो उस पर अवमानना की कार्रवाई हो सकती है। हमने नागरिकों को यह भी अधिकार दिया कि वे हाईकोर्ट जाकर न्याय की मांग कर सकते हैं।"

जब उनसे पूछा गया कि क्या दिल्ली के प्रदूषण पर न्यायपालिका हस्तक्षेप कर समाधान दे सकती है, तो पूर्व सीजेआई जस्टिस बीआर गवई ने साफ कहा कि न्यायालय केवल आदेश दे सकता है, उन्हें लागू करना सरकार और उसके तंत्र की जिम्मेदारी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में अब भी कई पद खाली हैं। जब स्टाफ ही नहीं है तो आदेशों पर अमल कैसे होगा?"

पीएम मोदी की पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ से मुलाकात पर उन्होंने कहा कि इस तरह की मुलाकातों पर विवाद नहीं होना चाहिए। विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका ये तीनों संस्थाएं संविधान के अनुसार काम करती हैं। अगर मुलाकात होती भी है तो इसमें कुछ गलत नहीं है।

कोर्ट में महिलाओं की कम मौजूदगी पर जस्टिस गवई ने कहा कि महिला जजों की संख्या बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने जानकारी दी कि उनके कार्यकाल में हाई कोर्ट में महिलाओं की अच्छी संख्या में नियुक्तियां हुईं।

उन्होंने कहा, "दो महिला वकीलों के नाम हमने सुप्रीम कोर्ट से अनुशंसित करके इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे थे। महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है और यह न्यायपालिका के लिए सकारात्मक बदलाव है।"

जस्टिस गवई ने इस साल 14 मई को 52वें सीजेआई के तौर पर शपथ ली थी। वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध और जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद अनुसूचित जाति समुदाय से दूसरे मुख्य न्यायाधीश थे।

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Created On :   27 Nov 2025 5:53 PM IST

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