डीआरडीओ लाएगा एक नई स्टार्ट-अप नीति, रक्षा क्षेत्र में रिसर्च के लिए महत्वपूर्ण कदम

डीआरडीओ लाएगा एक नई स्टार्ट-अप नीति, रक्षा क्षेत्र में रिसर्च के लिए महत्वपूर्ण कदम
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ एक नई स्टार्ट-अप नीति लाने की तैयारी में है। इस नीति के आने से उभरते नवाचारों को रक्षा अनुप्रयोगों से जोड़ना और सुगम होगा। साथ ही, डीआरडीओ ने लगभग 2000 उद्योगों का एक मजबूत पूल विकसित किया है, जिन्हें विभिन्न रक्षा प्रणालियों की विकसित तकनीक शून्य शुल्क पर प्रदान की जा रही है।

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ एक नई स्टार्ट-अप नीति लाने की तैयारी में है। इस नीति के आने से उभरते नवाचारों को रक्षा अनुप्रयोगों से जोड़ना और सुगम होगा। साथ ही, डीआरडीओ ने लगभग 2000 उद्योगों का एक मजबूत पूल विकसित किया है, जिन्हें विभिन्न रक्षा प्रणालियों की विकसित तकनीक शून्य शुल्क पर प्रदान की जा रही है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत सरकार ने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में रिसर्च एवं डेवलपमेंट को सुदृढ़ करने के लिए व्यापक और बहुआयामी कदम उठाए हैं। डीआरडीओ तथा रक्षा मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उद्योगों, स्टार्ट-अप्स, शैक्षणिक संस्थानों और एमएसएमई को सक्रिय रूप से जोड़ा जा रहा है। इससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ की दिशा में रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति सुनिश्चित हो रही है।

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने सोमवार को राज्यसभा के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा लागू की गई प्रमुख पहलों में डेवलपमेंट कम प्रोडक्शन पार्टनर और प्रोडक्शन एजेंसी मॉडल खास तौर पर उल्लेखनीय हैं। इनके माध्यम से डीआरडीओ सार्वजनिक एवं निजी उद्योगों को प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के तहत निर्माण साझेदार के रूप में चुनता है। उत्पादन आवश्यकताओं के अनुसार इन्हें तकनीक हस्तांतरित की जाती है। यही नहीं, डीआरडीओ ने लगभग 2000 उद्योगों का एक मजबूत पूल विकसित किया है, जिन्हें विकसित प्रणालियों की तकनीक शून्य शुल्क पर प्रदान की जाती है।

सरकार ने डीआरडीओ पेटेंट्स को भारतीय उद्योगों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराने की नीति लागू की है। इसके अलावा, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड योजना के अंतर्गत स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक 26 तकनीकें सफलतापूर्वक विकसित की गई हैं, जिनमें से दो प्रणालियों को पीएसएलवी मिशन के साथ अंतरिक्ष में भी भेजा गया।

सरकार ने इस योजना के लिए अतिरिक्त 500 करोड़ रुपए का कोष भी स्वीकृत किया है। डेयर टू ड्रीम प्रतियोगिता के चार संस्करणों का सफल आयोजन किया जा चुका है, जिसका उद्देश्य रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देना है। डीआरडीओ की 24 प्रयोगशालाओं की विश्वस्तरीय परीक्षण सुविधाएं अब उद्योगों के लिए खोली गई हैं, जिन्हें रक्षा परीक्षण पोर्टल पर सूचीबद्ध किया गया है। इसी प्रकार, उद्योगों से संवाद को बढ़ाने के लिए इंडस्ट्री इंटरेक्शन ग्रुप्स गठित किए गए हैं। महत्वपूर्ण पहल के तहत रक्षा रिसर्च एंड डेवलपमेंट बजट का 25 प्रतिशत हिस्सा उद्योगों, स्टार्ट-अप्स और शैक्षणिक संस्थानों के लिए खोला गया है।

इसके अतिरिक्त, एक्स्ट्राम्यूरल रिसर्च कार्यक्रमों का उद्देश्य देश में महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकों पर शोध नेटवर्क विकसित करना और उच्च कौशल वाले मानव संसाधन तैयार करना है। डीआरडीओ, इंडस्ट्री व अकादमिया साझेदारी को बढ़ाने के लिए 15 डीआरडीओ इंडस्ट्री-अकादमिया सेंटर ऑफ एक्सेलेंस स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र लगभग 82 शोध क्षेत्रों में भविष्य की रक्षा तकनीकों पर कार्य कर रहे हैं।

डीआरडीओ उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स में भी ज्ञान साझेदार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दूसरी ओर, आई डीईएक्स पहल के माध्यम से स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और रिसर्चर्स को रक्षा एवं एयरोस्पेस के लिए तकनीक विकसित करने हेतु अनुदान दिया जा रहा है। ‘मेक’ प्रक्रिया के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों में 70 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। पिछले तीन वर्षों में डीआरडीओ ने 148 नई रिसर्च व डेवलपमेंट परियोजनाएं स्वीकृत की हैं।

रक्षा रिसर्च विभाग के बजट अनुमानों, संशोधित अनुमानों और वास्तविक व्यय के आंकड़े भी सरकार ने प्रस्तुत किए, जिनसे अनुसंधान के लिए बढ़ते निवेश का स्पष्ट संकेत मिलता है। वर्ष 2025–26 के लिए 26,816.82 करोड़ रुपए का बजट अनुमान प्रस्तावित किया गया है।

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Created On :   1 Dec 2025 9:06 PM IST

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