राजनीति: विश्व शेर दिवस वन्यजीव संरक्षण में अग्रणी गुजरात, 17 शेरों और 25 तेंदुओं की दहाड़ से गूंज रहा बरडा वन्यजीव अभयारण्य

गांधीनगर, 8 अगस्त (आईएएनएस)। भारत की शान एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास गुजरात में है, जो राज्य के लिए गर्व की बात है। 10 अगस्त को विश्व शेर दिवस के अवसर पर गिर के अलावा बरडा वन्यजीव अभयारण्य में एशियाई शेरों की मजबूत उपस्थिति का उल्लेख प्रासंगिक होगा, जो वन्यजीवों, विशेषकर शेरों के संरक्षण के लिए गुजरात की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग ने बरडा अभयारण्य में वैज्ञानिक पद्धतियों के उपयोग और सामुदायिक भागीदारी से शेरों के लिए अनुकूल आवास सुनिश्चित किया है। इसका सुखद परिणाम यह है कि बरडा अब 17 एशियाई शेरों का दूसरा घर बन गया है।
2023 की वन्यजीव गणना के अनुसार बरडा अभयारण्य में 17 एशियाई शेरों और 25 तेंदुओं की मौजूदगी है। वन एवं पर्यावरण विभाग ने घास के मैदानों की पुनर्स्थापना, शेरों के भोजन के लिए जानवरों की संख्या में वृद्धि तथा टेक्नोलॉजी-आधारित वन्यजीव ट्रैकिंग जैसे व्यापक संरक्षण उपाय किए हैं ताकि अभयारण्य अधिक से अधिक वन्यजीवों के लिए एक अनुकूल आवास बन सके। बरडा अभयारण्य की यह प्रगति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘प्रोजेक्ट लायन’ के व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसमें गिर के बाहर शेरों के आवास का विस्तार करना, वन्यजीवों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना और दीर्घकालिक पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखना शामिल है।
पोरबंदर के निकट स्थित बरडा वन्यजीव अभयारण्य आवास विविधीकरण के लिए 'प्रोजेक्ट लायन' के अंतर्गत एक मुख्य केंद्र है। बरडा वन्यजीव अभयारण्य अनिवार्य सुविधाओं और सुरक्षा के कारण शेरों के लिए एक आदर्श आवास बन गया है। यहां रेडियो कॉलर और रियल-टाइम ट्रैकिंग जैसे उपकरणों के माध्यम से शेरों की निगरानी और अधिक प्रभावी बन गई है। बरडा वन्यजीव अभयारण्य में शेरों और तेंदुओं, दोनों की मौजूदगी एक स्वस्थ इकोसिस्टम को दर्शाती है।
गुजरात वन विभाग इको-टूरिज्म को प्रोत्साहन देने और संरक्षण को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 16 अक्टूबर से 15 जून के दौरान बरडा वन्यजीव अभयारण्य में जंगल सफारी का आयोजन करता है। पर्यटकों को सफारी की एक ट्रिप (अधिकतम 6 लोग) के लिए कुल 2,200 रुपए का खर्च करना होगा, जिसमें 1,400 रुपए जिप्सी वाहन शुल्क, 400 रुपए गाइड शुल्क और सरकारी परमिट के लिए 400 रुपए का शुल्क शामिल हैं। इसके अलावा, पर्यटकों के लिए पार्किंग एरिया, वेटिंग लाउंज और सैनिटेशन की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस अभयारण्य में किलेश्वर महादेव मंदिर भी स्थित है, जो पूरे वर्ष पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
सीएम भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करके और लोगों को संरक्षण प्रयासों के केंद्र में रखकर वन्यजीव संरक्षण कर रहा है। स्थानीय समुदाय, विशेषकर मालधारी पशुपालक समूहों, इको-टूरिज्म और वन्यजीव संरक्षण में मदद करते हैं। यह सहभागी मॉडल केवल संरक्षण प्रयासों को ही मजबूत नहीं बनाता, बल्कि यह अभयारण्य की दीर्घकालिक सफलता में समुदायों की भागीदारी भी सुनिश्चित करता है।
2025 में हुई शेरों की गणना के अनुसार गुजरात में एशियाई शेरों की आबादी 891 तक पहुंच गई है, जिनमें से 50 फीसदी से अधिक शेर गिर संरक्षित क्षेत्र के बाहर निवास करते हैं। यह परिवर्तन ‘प्रोजेक्ट लायन’ के अंतर्गत आवास विस्तार और समुदाय-संचालित संरक्षण की प्रभावशीलता पर जोर देता है। बरडा का विकास बड़े मांसाहारी जानवरों के संरक्षण में भारत के नेतृत्व को दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक पहल- इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए)- शेर, बाघ, तेंदुआ और चीता जैसे मांसाहारी जानवरों के संरक्षण प्रयासों में भारत को अग्रिम पंक्ति में खड़ा करती है।
एशियाई शेरों के संरक्षण में बरडा वन्यजीव अभयारण्य की उल्लेखनीय सफलता टिकाऊ विकास का एक शानदार उदाहरण है। यह मॉडल प्रधानमंत्री के विजन ‘विकास भी, विरासत भी’ के अनुरूप है, जो पर्यावरणीय विरासत के संरक्षण के साथ-साथ विकास भी सुनिश्चित करता है।
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Created On :   8 Aug 2025 6:17 PM IST