गुजरात अग्नि बीमा धोखाधड़ी मामले में सीबीआई कोर्ट की बड़ी कार्रवाई, 5 साल की सजा और 60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया

गुजरात  अग्नि बीमा धोखाधड़ी मामले में सीबीआई कोर्ट की बड़ी कार्रवाई, 5 साल की सजा और 60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया
बीमा क्षेत्र में बढ़ते धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए दो अभियुक्तों को पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कुल 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।

अहमदाबाद, 23 सितंबर (आईएएनएस)। बीमा क्षेत्र में बढ़ते धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए दो अभियुक्तों को पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कुल 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।

यह फैसला 2002 की एक फैक्ट्री आग की घटना से जुड़े धोखाधड़ीपूर्ण अग्नि बीमा दावे के मामले में आया है, जिसमें यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (यूआईआईसीएल) को 36 लाख 86 हजार 451 रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ था। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने सोमवार को यह फैसला सुनाया, जो बीमा घोटालों पर न्यायिक सख्ती का प्रतीक बन गया है।

दोषी ठहराए गए अभियुक्तों में पहला रशिक जे. पटेल दलसानिया है, जो मेसर्स मीरा केमिकल्स (जीआईडीसी, पनोली, जिला भरूच) के साझेदार है। उसे पांच साल के कठोर कारावास और 45 लाख रुपए के जुर्माने की सजा दी गई। दूसरा अभियुक्त संजय रमेश चित्रे है, जो मेसर्स एस.आर. चित्रे एंड कंपनी के प्रोप्राइटर और सर्वेयर है। उसे भी पांच साल की सजा और 15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। दोनों पर आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी और जाली दस्तावेजों को असली के रूप में उपयोग करने जैसे गंभीर आरोप सिद्ध हुए।

यह मामला 29 जून 2006 को सीबीआई की एंटी-करप्शन ब्रांच (एसीबी), गांधीनगर द्वारा सूत्रों से मिली गोपनीय जानकारी के आधार पर दर्ज किया गया था। जांच में सामने आया कि यूआईआईसीएल के कुछ लोक सेवकों ने अभियुक्तों के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा। उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर अग्नि बीमा दावे के निपटान में सरकारी खजाने को चूना लगाया। घटना 20 जनवरी 2002 की है, जब मीरा केमिकल्स की पनोली स्थित फैक्ट्री में आग लगी। आग से इमारत, उपकरण, स्टॉक और रसायनों को भारी नुकसान हुआ। फर्म ने तुरंत यूआईआईसीएल को सूचना दी और सर्वेक्षक के रूप में संजय चित्रे की कंपनी को नियुक्त किया।

चित्रे ने नुकसान का आकलन 36 लाख 92 हजार 137 रुपए किया। यूआईआईसीएल के शाखा और मंडल कार्यालयों के अधिकारियों की जांच व सिफारिशों के बाद दावे को मंजूरी मिली और भुगतान कर दिया गया। लेकिन सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि नुकसान और पुनर्स्थापना लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए फर्जी बिल, वाउचर समेत जाली दस्तावेज जमा किए गए थे। रशिक पटेल ने नेतृत्व किया, जबकि चित्रे ने सर्वे रिपोर्ट में हेराफेरी की। इससे कंपनी को 36 लाख से अधिक का नुकसान हुआ।

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Created On :   23 Sept 2025 9:59 PM IST

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