राष्ट्रीय: पूर्व विधायक सुरेश राठौर भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित, दूसरी शादी बनी वजह

पूर्व विधायक सुरेश राठौर भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित, दूसरी शादी बनी वजह
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू होने के बाद पहली बार इसका बड़ा राजनीतिक असर सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता और ज्वालापुर के पूर्व विधायक सुरेश राठौर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पार्टी ने उन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।

देहरादून, 28 जून (आईएएनएस)। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू होने के बाद पहली बार इसका बड़ा राजनीतिक असर सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता और ज्वालापुर के पूर्व विधायक सुरेश राठौर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पार्टी ने उन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।

यूसीसी के तहत दूसरी शादी को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके बावजूद सुरेश राठौर ने सार्वजनिक तौर पर दूसरी शादी की घोषणा की, जो पार्टी और सरकार की नीति के खिलाफ मानी गई। यही नहीं, सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में राठौर की शादी की तस्वीरें और जानकारी सामने आईं, जिससे पार्टी की छवि पर सवाल उठने लगे।

इस पूरे प्रकरण की शुरुआत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से हुई, जहां राठौर ने अभिनेत्री उर्मिला सनावर से विवाह किया। इससे पहले दोनों के बीच आपसी विवाद और मुकदमेबाजी भी चर्चा में रही थी, लेकिन अचानक शादी की खबर और उसका वीडियो वायरल होने से भाजपा को बैकफुट पर आना पड़ा।

प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सुरेश राठौर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और सात दिन के भीतर जवाब मांगा था, लेकिन समय रहते संतोषजनक जवाब न मिलने पर पार्टी ने कठोर रुख अपनाया।

प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के निर्देश पर महामंत्री राजेंद्र बिष्ट ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की घोषणा करते हुए राठौर को पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया।

नोटिस में स्पष्ट कहा गया कि सुरेश राठौर का आचरण पिछले कुछ समय से लगातार पार्टी मर्यादा के विरुद्ध रहा है। उनके बयानों और व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी गतिविधियों से पार्टी की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा है। पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता करार देते हुए बड़ी कार्रवाई की।

यह मामला एक राजनीतिक दल की अंदरूनी कार्रवाई भर नहीं है, बल्कि यह संकेत भी है कि उत्तराखंड में लागू यूसीसी को लेकर सरकार और सत्ताधारी दल कितना गंभीर रुख अपना रहे हैं।

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Created On :   28 Jun 2025 9:02 PM IST

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