1962 का युद्ध जब धर्मेंद्र ने स्क्रीन पर दिखाया सैनिक का जज्बा, हर एक की आंखें हो गई थीं नम

1962 का युद्ध  जब धर्मेंद्र ने स्क्रीन पर दिखाया सैनिक का जज्बा, हर एक की आंखें हो गई थीं नम
1962 का भारत-चीन युद्ध हमारे देश के सैन्य इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ गया, खासकर रेजांग ला की लड़ाई, जहां महज 120 भारतीय जवानों ने 3,000 से ज्यादा चीनी सैनिकों का डटकर सामना किया। यह लड़ाई भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस की मिसाल है।

मुंबई, 25 नवंबर (आईएएनएस)। 1962 का भारत-चीन युद्ध हमारे देश के सैन्य इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ गया, खासकर रेजांग ला की लड़ाई, जहां महज 120 भारतीय जवानों ने 3,000 से ज्यादा चीनी सैनिकों का डटकर सामना किया। यह लड़ाई भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस की मिसाल है।

करीब छह दशक पहले, जब टीवी और इंटरनेट नहीं थे, उस समय इस लड़ाई की कहानी लोगों तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे में सिनेमा एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरा।

1964 में चेतन आनंद की फिल्म 'हकीकत' इसी वीरता की कहानी लेकर आई। इसे भारतीय सिनेमा की बेहतरीन युद्ध फिल्मों में से एक माना जाता है। फिल्म में धर्मेंद्र ने कैप्टन बहादुर सिंह का किरदार निभाया, जो असली मेजर शैतान सिंह पर आधारित था। उनके सीनियर अधिकारी मेजर रंजीत सिंह का रोल बलराज साहनी ने निभाया। वहीं सेना के कमांडर ब्रिगेडियर सिंह का किरदार जयंत ने निभाया।

कहानी में कैप्टन बहादुर सिंह के पिता ब्रिगेडियर सिंह ही कमांडर हैं। फिल्म में एक कमांडर और एक पिता की उलझनों को बखूबी तरीके से दिखाया गया है कि कैसे वह अपने सैनिकों और बेटे को देश की रक्षा के लिए दुश्मनों का सामना करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वह अपनी ड्यूटी और सैनिक के कोड से बंधे हैं।

फिल्म का अंत दुखद है। धर्मेंद्र का किरदार कैप्टन बहादुर सिंह और एक लद्दाख की महिला, जो उनकी दोस्त बनती है, जंग में जान गंवा देते हैं। फिल्म में कई प्रेरक गाने हैं, जिन्हें मोहम्मद रफी ने गाया, कैफी आजमी ने लिखा और मदन मोहन ने संगीत दिया।

फिल्म को लद्दाख की चुनौतीपूर्ण और बर्फीली जगहों पर शूट किया गया था, जिससे युद्ध की कठिनाइयों और त्रासदी को यथार्थ रूप में दिखाया जा सके। फिल्म को दर्शकों ने सराहा।

फिल्म के निर्माण के समय चेतन आनंद के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। किसी परिचित ने सुझाव दिया कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री, प्रताप सिंह कैरों से मदद लें। उन्होंने तुरंत दो लाख रुपए देने की सहमति दी, बस यह शर्त रखी कि पंजाब के सैनिकों का योगदान भी फिल्म में याद किया जाए।

धर्मेंद्र ने इस फिल्म में अपने करियर की शुरुआती भूमिका निभाई थी, लेकिन यह उनकी सैनिक की पहली भूमिका नहीं थी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में सैन्य अधिकारी की भूमिकाएं निभाईं। 1970 में वह नौसेना के अधिकारी के रूप में 'तुम हसीन मैं जवान' में दिखाई दिए। फिर 1972 में उन्होंने 'ललकार' में मेजर राम कपूर की भूमिका निभाई, जो दूसरे विश्व युद्ध में जापानी सेना का सामना करता है।

जल्द ही धर्मेंद्र को फिल्म 'इक्कीस' के रिलीज होने पर ब्रिगेडियर एम.एल. खेत्रपाल के रूप में देखा जाएगा।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   25 Nov 2025 7:26 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story