1984 सिख नरसंहार पर आखिर इंसाफ कब? सिख समुदाय ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप
नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। 1984 सिख नरसंहार को 41 साल बीत चुके हैं, लेकिन सिख समुदाय उस घटना को अभी तक नहीं भूल पाया है। इसकी वजह उन्होंने इस मामले में न्याय न मिलना बताया है। सिख समुदाय ने शनिवार को इस घटना को याद करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए।
1984 के सिख नरसंहार में शहीद हुए सिखों को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और पीड़ित परिवारों ने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित “सच दी दीवार” पर मोमबत्तियां जलाई।
दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक समिति प्रमुख हरमीत सिंह कालका ने कहा कि सिख लोग चार दशक से 1984 की लड़ाई लड़ रहे हैं। दंगे में सिखों को जिंदा जला दिया गया। उनको याद करने के लिए हर साल यह प्रोग्राम हम यहां रखते हैं। जब तक हमें इंसाफ नहीं मिलेगा, तब तक की लड़ाई चलती रहेगी। इस पूरे केस को देख रहे एसके फुल्का ने ट्रुथ कमीशन से मांग की है कि सभी को न्याय मिले।
उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस माफी मांग भी ले तो बहुत देर हो चुकी है। कांग्रेस ने माफी मांगने की बजाय उन नेताओं को पद दिए हैं जो इस नरसंहार में शामिल थे। इनका सिख प्रबंधक कमेटी के साथ कभी समझौता नहीं हो सकता। कांग्रेस आज अपनी हरकतें भुगत रही है। उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने इस केस में क्लोजर रिपोर्ट खोलने और एसआईटी का गठन करने में बड़ी भूमिका निभाई।
1984 दंगा पीड़ित निर्मल कौर ने कहा कि हम त्रिलोकपुरी 32 ब्लॉक में रहते थे। आज भी दीवार पर मेरे पापा का नाम लिखा हुआ है। हर साल एक नवंबर को ऐसा लगता है कि फिर से 1984 के दंगे शुरू हो गए हैं। मेरे पापा को मेरे आंखों के सामने जिंदा जला दिया था। यह जख्म अभी भी हम नहीं भूल पाते हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमारे साथ विश्वासघात किया है, हमें भी न्याय नहीं मिला है। हर तारीख पर हम लोग कोर्ट जाते हैं, इंसाफ की मांग करते हैं, लेकिन इंसाफ नहीं मिलता।
पीड़िता बागी कौर का कहना है कि मैं त्रिलोकपुरी 32 ब्लॉक में रहती थी। इस दंगे में मेरे घर के 11 लोगों को मार दिया गया। आज 41 साल हो गए हैं, इंसाफ कब मिलेगा? उन्होंने कहा कि सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर के साथ कमलनाथ को भी सजा मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक बार राजीव गांधी ने कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तब पृथ्वी भी हिलती है। जब उनकी माता का निधन हुआ तो धरती हिल गई, लेकिन जब सिखों का कत्लेआम हुआ तो कुछ नहीं हुआ।
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Created On :   1 Nov 2025 10:06 PM IST












