विज्ञान/प्रौद्योगिकी: इतिहास में 7 अगस्त दुनिया को मिला पहला ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर, नाम 'हार्वर्ड मार्क-वन'

नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। 7 अगस्त की तारीख पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक है, जब दुनिया का पहला ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर 'हार्वर्ड मार्क-वन' पेश किया गया। इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (आईबीएम) कंपनी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला 'हार्वर्ड मार्क-वन' कैलकुलेटर विकसित किया।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक युवा शोध छात्र हावर्ड एच. ऐकेन ने इस क्रांतिकारी कैलकुलेटर की कल्पना की थी, जिन्हें गणितीय भौतिकी की जटिल समस्याओं को हल करने के लिए एक स्वचालित उपकरण की जरूरत महसूस हुई। 1937 में उन्होंने एक ऐसे डिवाइस की परिकल्पना की, जो गणनाओं को बिना मानवीय हस्तक्षेप के स्वचालित रूप से अंजाम दे सके।
उनका यह विचार उस समय के कई वैज्ञानिकों और निर्माताओं के लिए नया था, लेकिन आईबीएम कंपनी ने इसमें संभावनाएं देखीं। आईबीएम के इंजीनियर क्लेयर डी. लेक और उनकी टीम ने प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए न्यूयॉर्क के एंडिकॉट में मशीन के निर्माण पर कार्य शुरू किया।
इस परियोजना का निर्माण कार्य उस समय चल रहा था, जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चुका था। अमेरिका की नौसेना ने भी इस मशीन की सामरिक संभावनाओं को पहचाना और फरवरी 1944 में आईबीएम ने इसके पुर्जों को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी भेजा। पहले यह मशीन यूएस नेवी ब्यूरो ऑफ शिप को गणना के लिए सौंपी गई। आधिकारिक तौर पर 7 अगस्त 1944 को इसे प्रस्तुत किया गया।
इस मशीन को उस समय "ऑटोमैटिक सीक्वेंस कंट्रोल्ड कैलकुलेटर (एएससीसी)" कहा गया, जिसे बाद में लोकप्रिय रूप से 'हार्वर्ड मार्क-वन' नाम दिया गया।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, 1945 में जॉर्ज स्टिबिट्ज ने नेशनल डिफेंस रिसर्च कमेटी को दिए गए एक रिपोर्ट में स्पष्ट किया, "कैलकुलेटर एक ऐसा उपकरण है, जो दो संख्याओं ए और बी के जोड़, घटाव, गुणा, भाग जैसे ऑपरेशन कर सके।"
जॉर्ज स्टिबिट्ज उस समय 'कंप्यूटर बनाम कैलकुलेटर' की परिभाषा बता रहे थे। जहां उन्होंने कहा था, "कंप्यूटर वह मशीन है, जो इन ऑपरेशनों की एक श्रृंखला को स्वचालित रूप से कर सके और आवश्यक मध्यवर्ती परिणामों को स्टोर भी कर सके।"
हार्वर्ड विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, 'हार्वर्ड मार्क-वन' ने 1944 से लेकर 1959 तक सेवाएं दीं। इसके बाद इसके कुछ हिस्से आईबीएम और स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन को दिए गए। वर्तमान में इसका एक छोटा हिस्सा संग्रहालय में संरक्षित है। इसके बाद आई मशीनों ने इसकी क्षमताओं को पीछे छोड़ दिया, जैसे आईबीएम का एबरडीन रिले कैलकुलेटर और अमेरिकी सेना का आईएनईएसी, जो पहला पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर 'कंप्यूटिंग इतिहास' को लेकर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पहला ऑटोमैटिक सीक्वेंस कंट्रोल्ड कैलकुलेटर यानी उस दौर की मशीन लगभग 51 फीट लंबी, 5 टन वजन वाली और 7,50,000 भागों से बनी थी। इसमें 72 अक्यूमुलेटर (गणना इकाइयां) और 60 सेट रोटरी स्विच शामिल थे, जिन्हें कॉन्स्टेंट रजिस्टर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता था। इसके साथ कार्ड रीडर, कार्ड पंच, पेपर टेप रीडर और टाइपराइटर भी लगे थे।
मशीन का संचालन एक लंबे घूमने वाले शाफ्ट से नियंत्रित होता था। एक जोड़ने का ऑपरेशन 1/3 सेकंड में होता था, जबकि गुणा करने में 1 सेकंड लगता था। डायल स्विच मशीन के बाएं हिस्से में थे, उसके बाद स्टोरेज काउंटर के खांचे थे। मशीन की दाहिनी ओर पेपर-टेप इकाइयां, टाइपराइटर और कार्ड पंच थे।
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Created On :   6 Aug 2025 2:48 PM IST