राष्ट्रीय: आखिर आधार कार्ड को ही क्यों बनाया गया आपका 'आधार'

आखिर आधार कार्ड को ही क्यों बनाया गया आपका आधार
आज से 14 साल पहले वर्ष 2010 में जब एक महिला का आधार कार्ड बना तो लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन दिनों में लोगों के पास पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज थे। स्कूल, कॉलेज, नौकरी, और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ये दस्तावेज पर्याप्त थे। इन दस्तावेजों के होने के बावजूद तत्कालीन सरकार ने 12 अंकों वाले डिजिटल दस्तावेज "आधार" का प्रयोग किया। ऐसे में सवाल उठा कि ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी।

नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। आज से 14 साल पहले वर्ष 2010 में जब एक महिला का आधार कार्ड बना तो लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन दिनों में लोगों के पास पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज थे। स्कूल, कॉलेज, नौकरी, और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ये दस्तावेज पर्याप्त थे। इन दस्तावेजों के होने के बावजूद तत्कालीन सरकार ने 12 अंकों वाले डिजिटल दस्तावेज "आधार" का प्रयोग किया। ऐसे में सवाल उठा कि ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी।

आज 14 साल बीतने के बाद भी यह सवाल बना हुआ है। इस सवाल का सबसे सरल जवाब यह है कि सरकार का मकसद भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना था। यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें फर्जीवाड़ा होने की संभावना बेहद कम है क्योंकि इसमें उस व्यक्ति का बायोमेट्रिक होता है।

साथ ही एक बार जो 12 अंकों का नंबर जनरेट हो गया, उसे बदला भी नहीं जा सकता है। सुधार के तौर पर मोबाइल फोन, स्थानीय पता, नाम में सुधार कर सकते हैं। लेकिन, अगर किसी व्यक्ति का एक बार आधार बन गया है और वह दोबारा बनाने की कोशिश करता है तो यह संभव नहीं है। आज आधार कार्ड को हर जगह लगभग अनिवार्य कर दिया गया है। चाहे स्कूल-कॉलेज में दाखिला लेना हो या फिर नौकरी के लिए स्थानीय पते के तौर पर दस्तावेज देना हो।

बैंक में खाता खुलवाने के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य है। साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के तहत मिलने वाली सब्सिडी भी आधार से लिंक बैंक खातों में ही भेजी जाती है। इससे बड़े पैमाने पर अवैध लाभार्थियों की पहचान में मदद मिली है।

वर्तमान में 144 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश को आधार कार्ड से रूबरू करवाने वाले इंफोसिस के सह संस्थापक जनक नंदन नीलेकणी थे। हालांकि, इसकी नींव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में देखी जा सकती है। वर्ष 2001 में कारगिल युद्ध के बाद सरकार ने एक राष्ट्रीय पहचान का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव का देश में अवैध आव्रजन रोकना था।

तत्कालीन यूपीए सरकार ने साल 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का गठन किया था। इसके बाद साल 2010 में आधार कार्ड बनाने का काम शुरू हुआ। पहले सिर्फ आधार केंद्रों पर इसे शुरू किया गया। लेकिन, सरकार के दिशा-निर्देश और भविष्य में इसकी अनिवार्यता को देखते हुए लोगों के घरों के पास आधार केंद्र लगाए गए, जहां तेजी से लोगों का आधार बनाया गया। इसके बाद सरकार ने आधार कार्ड को सभी सरकारी योजनाओं सहित निजी सेक्टर में इसकी उपयोगिता को बढ़ावा दिया।

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Created On :   2 Aug 2024 5:01 PM IST

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