अंतरराष्ट्रीय: पाकिस्तान के समर्थन के बाद अब ईरान को सैन्य सहायता देने को लेकर चीन पर उठे सवाल रिपोर्ट

पाकिस्तान के समर्थन के बाद अब ईरान को सैन्य सहायता देने को लेकर चीन पर उठे सवाल रिपोर्ट
लंबे समय से खुद को "गैर-हस्तक्षेप" की विदेश नीति का पक्षधर बताने वाला चीन अब ईरान को हालिया संघर्ष में सैन्य सहायता देने को लेकर वैश्विक जांच के घेरे में आ गया है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के साथ हालिया टकराव के दौरान चीन ने ईरान को तेल के बदले सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए बैटरियां आपूर्ति की हैं।

बीजिंग, 5 अगस्त (आईएएनएस)। लंबे समय से खुद को "गैर-हस्तक्षेप" की विदेश नीति का पक्षधर बताने वाला चीन अब ईरान को हालिया संघर्ष में सैन्य सहायता देने को लेकर वैश्विक जांच के घेरे में आ गया है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के साथ हालिया टकराव के दौरान चीन ने ईरान को तेल के बदले सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए बैटरियां आपूर्ति की हैं।

यह खुलासा ऐसे समय हुआ है जब चीन पहले ही रूस के यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष सहयोग और भारत-पाकिस्तान के बीच मई में हुए तनाव में पाकिस्तान के समर्थन को लेकर आलोचना झेल रहा है। यह तनाव 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद उभरा था।

चीन की भव्य रणनीति के विशेषज्ञ लिंगगोंग कोंग ने 'वन वर्ल्ड आउटलुक' में लिखा, "मुझे पूरा विश्वास है कि चीन ईरान को सैन्य सहायता प्रदान कर सकता है जबकि सार्वजनिक रूप से उसका खंडन करता रहेगा। यह रणनीति उसे सैन्य प्रभाव दिखाने और अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचते हुए कूटनीतिक लचीलापन बनाए रखने में मदद देती है।"

हालांकि उन्होंने आगाह किया कि जब परोक्ष सबूत बढ़ने लगते हैं, तो ऐसी गतिविधियां "असंभव इनकार" की स्थिति में पहुंच जाती हैं, जहां आधिकारिक खंडन अब विश्वसनीय नहीं रहता।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की ओर से इजरायल में स्थित चीनी दूतावास ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बीजिंग हथियारों के प्रसार का विरोध करता है और युद्धरत देशों को हथियार निर्यात नहीं करता, लेकिन चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन ने यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस को भारी मात्रा में दोहरे उपयोग वाले सामान मुहैया कराए हैं, जो नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं। इसके अलावा, चीन ने रूस को सैटेलाइट इमेजरी भी उपलब्ध कराई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में सार्वजनिक रूप से तटस्थता का दावा किया, लेकिन व्यवहार में वह पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई दिया। रिपोर्ट के अनुसार, "चीन की यह सैन्य सहायता भारत के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को रोकने, भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को संतुलित करने और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की रक्षा करने की रणनीति का हिस्सा है।"

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि चीन और ईरान के बीच 25 साल का व्यापक सहयोग समझौता हुआ है, जिसमें व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। इससे स्पष्ट होता है कि बीजिंग ईरान को रणनीतिक रूप से कितना महत्व देता है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   5 Aug 2025 6:04 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story