अंतरराष्ट्रीय: बांग्लादेश चटगांव सेंट्रल जेल में अमानवीय स्थिति पर आक्रोश

ढाका, 29 जून (आईएएनएस)। बांग्लादेश की चटगांव सेंट्रल जेल में कथित तौर पर क्षमता से तीन गुना अधिक कैदी रखे गए हैं, जिससे उन्हें अत्यधिक भीड़भाड़ वाली स्थिति में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
स्थानीय मीडिया ने शनिवार को बताया कि अधिकारियों ने स्थिति को संभालने के लिए एक नई जेल बनाने की पहल की। हालांकि, जेल विभाग द्वारा बार-बार अपील करने के बावजूद कोई भूमि आवंटित नहीं की गई है।
प्रमुख बांग्लादेशी दैनिक प्रथम आलो ने जेल सूत्रों के हवाले से बताया कि जेल में प्रतिदिन औसतन छह हजार कैदी रहते हैं,जबकि इसकी क्षमता 853 कैदियों को रखने की है।
अखबार ने जेल विभाग के महानिदेशक मोहम्मद मोताहर हुसैन के हवाले से कहा, "फिलहाल चटगांव जेल में कैदियों की संख्या तीन गुना से भी ज्यादा है। बार-बार अनुरोध के बावजूद हमें नई जेल के लिए जमीन नहीं मिल रही है। अगर नई जेल बनती है, तो उसे सुधार गृह के तौर पर विकसित किया जा सकता है, जहां कैदियों को मछली पकड़ने और कपड़ा उद्योग में कामगार के तौर पर प्रशिक्षित करने की व्यवस्था होगी।"
इससे पहले, चटगांव जिला प्रशासन ने कहा था कि जंगल सलीमपुर में जमीन पर अब भी अवैध कब्जा है और जेल अधिकारियों को सौंपे जाने से पहले उसे अभी भी मुक्त कराया जाना है।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता और चटगांव सिटी कॉरपोरेशन के वर्तमान मेयर शहादत हुसैन ने स्थितियों को "अमानवीय" बताया। हुसैन एक राजनीतिक मामले के सिलसिले में जेल में बंद हैं।
बीएनपी नेता ने बांग्लादेशी दैनिक को बताया, "कैदियों पर अत्यधिक दबाव है। मैंने देखा है कि 30-40 की बजाय 100 लोगों को एक सीमित क्षेत्र में रखा जाता है। यह अमानवीय है। पर्याप्त जगह और शौचालय की कमी के कारण कैदियों को कई तरह की तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। न्यूनतम बुनियादी अधिकारों और स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए चटगांव में एक नई जेल का निर्माण करना आवश्यक है।"
अक्टूबर 2024 में जेल विभाग की ओर से जारी किए गए एक डाटा से पता चला कि बांग्लादेश की 68 जेलों की क्षमता 42,887 थी, लेकिन उनमें 53,831 कैदी थे।
मानवाधिकार कार्यकर्ता और बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील ज्योतिर्मय बरुआ ने कहा कि भीड़भाड़ वाली जेलें मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हैं।
उन्होंने कहा, "कानून द्वारा दोषी साबित होने तक किसी व्यक्ति को निर्दोष माना जाता है, और उनके अधिकारों को बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी है। सरकार को दोषी ठहराए गए लोगों को छोड़कर, अभियुक्तों के लिए संवैधानिक समानता सुनिश्चित करने के लिए अस्थायी उपायों पर विचार करना चाहिए।"
-आईएएनएस
एएसएच/एकेजे
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Created On :   29 Jun 2025 12:14 AM IST