ऑपरेशन सिंदूर में बहादुरी दिखाने वाले सीआईएसएफ जवानों का सम्मान

ऑपरेशन सिंदूर में बहादुरी दिखाने वाले सीआईएसएफ जवानों का सम्मान
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के मुख्यालय में मंगलवार को बड़े गर्व का दिन था। बल के महानिदेशक ने मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा करने वाले 19 जवानों को डीजी डिस्क देकर सम्मानित किया।

नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के मुख्यालय में मंगलवार को बड़े गर्व का दिन था। बल के महानिदेशक ने मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा करने वाले 19 जवानों को डीजी डिस्क देकर सम्मानित किया।

ऑपरेशन सिंदूर 6 और 7 मई 2025 की रात को चलाया गया था। भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान और पीओके अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकाने को तबाह कर दिया था। जवाब में पाकिस्तानी सेना ने उरी सेक्टर में भयंकर गोलाबारी शुरू कर दी। हजारों गोले बरसाए गए। सबसे ज्यादा खतरा उरी हाइड्रो पावर परियोजना के दो बड़े प्लांट को था जो राष्ट्रीय महत्व की संपत्ति हैं और नियंत्रण रेखा से सिर्फ आठ से दस किलोमीटर दूर हैं।

गोलों की बारिश में जब हर तरफ धमाके हो रहे थे, तब सीआईएसएफ के जवान सबसे आगे डटे रहे। कमांडेंट रवि यादव की अगुवाई में उप कमांडेंट मनोहर सिंह और सहायक कमांडेंट सुभाष कुमार ने पूरी टीम को संभाला। जवानों ने गोले कहां गिर रहे हैं, उसकी दिशा का तुरंत पता लगाया, सुरक्षित जगह चिह्नित की और आसपास के गांव व परियोजना के आवासीय इलाके में रहने वाले लोगों को बंकरों तक पहुंचाया।

घर-घर जाकर औरतों, बच्चों, परियोजना के कर्मचारियों और उनके परिवार वालों को निकाला गया। कुल ढाई सौ से ज्यादा आम नागरिकों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया। गोले उनके घरों के बिल्कुल पास गिर रहे थे, फिर भी जवान नहीं रुके। दुश्मन के ड्रोन को मार गिराया, हथियारों के गोदाम को बचाया, संचार व्यवस्था को बनाए रखा और बंकरों को मजबूत किया। सबसे बड़ी बात यह रही कि इतनी भारी गोलाबारी में एक भी आम नागरिक को खरोंच तक नहीं आई और परियोजना को कोई नुकसान नहीं हुआ।

समारोह में महानिदेशक ने कहा कि इन जवानों ने बल की सबसे ऊंची परंपराओं को कायम रखा। गोले बरस रहे थे, मौत सामने खड़ी थी, फिर भी ये घर-घर गए और लोगों की जान बचाई। यह सुरक्षा और सेवा भाव का जीता-जागता उदाहरण है।

परियोजना के अधिकारी और स्थानीय लोग आज भी सीआईएसएफ जवानों को सलाम करते हैं। उनका कहना है कि उस रात अगर सीआईएसएफ न होती तो सैकड़ों जिंदगियां चली जातीं।

इन उन्नीस जांबाजों को मिला डीजी डिस्क पूरे बल के लिए गर्व की बात है। ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई गई यह बहादुरी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।

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Created On :   25 Nov 2025 10:18 PM IST

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