अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के भारत दौरे के क्या हैं मायने, किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के भारत दौरे के क्या हैं मायने, किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की यात्रा से भारत और तालिबान के बीच संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। मुत्ताकी की इस यात्रा पर सभी की निगाहें टिकी होंगी, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति द्वारा स्वीकृत छूट के बाद संभव हुई है।

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की यात्रा से भारत और तालिबान के बीच संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। मुत्ताकी की इस यात्रा पर सभी की निगाहें टिकी होंगी, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति द्वारा स्वीकृत छूट के बाद संभव हुई है।

तालिबानी विदेश मंत्री 9 से 16 अक्टूबर के बीच नई दिल्ली में रहेंगे। अपनी यात्रा के दौरान, वह भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मिलने की संभावना है। यह यात्रा एक कूटनीतिक सफलता है क्योंकि दोनों देशों के बीच कई वर्षों से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं।

इस यात्रा के एजेंडे में कई मुद्दे शामिल हैं। वार्ता के दौरान आतंकवाद-निरोध को प्रमुखता दी जाएगी। अफगानिस्तान और भारत दोनों के सामने पाकिस्तान में समान समस्या है। इसलिए, चर्चा मुख्यतः आतंकवाद-निरोध और सुरक्षा के लिहाज से संबंधों को मज़बूत करने के तरीकों पर केंद्रित होगी।

अफगानिस्तान क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा की मांग करने के साथ आतंकवाद-निरोध संबंधी चिंताओं को भी उठाएगा। बैठकों के दौरान व्यापार पर भी विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद है। दोनों देश परिवहन में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देने और नए व्यापार गलियारे खोलने पर भी चर्चा कर सकते हैं।

इसके अलावा वीजा कोटा के मुद्दे पर भी चर्चा होगी, जो चिकित्सा यात्रियों, छात्रों और व्यवसायियों के लिए मददगार होगा। भारत द्वारा पेशेवर और तकनीकी क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे अफगानी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति बढ़ाने की संभावना भी है।

अफगानिस्तान चिकित्सा सुविधाओं और स्वास्थ्य मिशनों में सहयोग की मांग के अलावा बुनियादी ढांचे के विकास, पानी और बिजली के क्षेत्रों पर इस चर्चा को केंद्रित कर सकता है।

वहीं, दोनों देश काबुल में भारतीय दूतावास, पूर्णकालिक राजदूतों की तैनाती और वाणिज्य दूतावासों की उपस्थिति का विस्तार करने पर सहमत हो सकते हैं।

बता दें कि मुत्ताकी पहले सितंबर में भारत आने वाले थे, लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमति देने से इनकार करने के बाद वह अब भारत का दौरा करेंगे। अमेरिका और पाकिस्तान इस यात्रा का विरोध कर रहे थे।

भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा था कि उन्होंने मई में मुत्ताकी से बात की थी। यह यात्रा एक लंबी कूटनीतिक प्रक्रिया का भी हिस्सा है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री और वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी जे.पी. सिंह सहित भारतीय अधिकारियों ने पिछले एक साल में दुबई जैसे तटस्थ स्थानों पर मुत्तकी और तालिबान के अन्य नेताओं के साथ कई बैठकें की हैं।

पाकिस्तान तालिबान पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का समर्थन करने का आरोप लगाता है, लेकिन इन दावों का खंडन किया गया। इसके अलावा, चीन भी संसाधनों पर नजर रखते हुए तालिबान से दोस्ती कर रहा है। इससे मध्य एशियाई क्षेत्र में भारत की स्थिति ख़तरे में पड़ सकती है, इसलिए इस संबंध में संबंध महत्वपूर्ण हैं।

मुत्ताकी 2021 में अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों की वापसी के बाद से विदेश मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक में भाग लिया था।

उस बैठक के दौरान, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना का अफगानिस्तान में विस्तार करने पर सहमति बनी थी। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, मुत्ताकी की यात्रा भारत के लिए महत्वपूर्ण है और इस मुलाकात पर कई लोगों की नजर रहेगी।

-- आईएएनएस

कनक/डीएससी

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Created On :   3 Oct 2025 5:53 PM IST

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