गंजेपन के उपचार से आत्महत्या का खतरा बढ़ता है, शोध में दावा- 'सबूत अब केवल किस्से-कहानियों तक सीमित नहीं'

गंजेपन के उपचार से आत्महत्या का खतरा बढ़ता है, शोध में दावा- सबूत अब केवल किस्से-कहानियों तक सीमित नहीं
गंजापन आपके अहंकार को ठेस पहुंचा सकता है, लेकिन बालों को झड़ने न देने के लिए जिस दवा का आप प्रयोग करते हैं, वह आपके दिमाग को नुकसान भी पहुंचा सकती है। यह दावा हाल ही में की गई एक स्टडी करती है।

नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)। गंजापन आपके अहंकार को ठेस पहुंचा सकता है, लेकिन बालों को झड़ने न देने के लिए जिस दवा का आप प्रयोग करते हैं, वह आपके दिमाग को नुकसान भी पहुंचा सकती है। यह दावा हाल ही में की गई एक स्टडी करती है।

इजरायल में हुए एक नए शोध से पता चलता है कि जो पुरुष गंजेपन से छुटकारा पाने के लिए दवाइयां लेते हैं उनमें मनोविकार पैदा होता है और आत्महत्या से जुड़े विचार उन लोगों की तुलना में काफी ज्यादा आते हैं जो इसका इस्तेमाल नहीं करते।

हदास्सा-हिब्रू यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख डॉ. मेयर ब्रेजिस की समीक्षा 'द जर्नल ऑफ क्लिनिकल साइकियाट्री' (अक्टूबर 2025) में छपी। जिसमें उन्होंने दावा किया, " सबूत सिर्फ किस्से-कहानियों तक सीमित नहीं रह गए हैं। अब हम अलग-अलग आबादी में एक जैसे पैटर्न देख रहे हैं। और इसके परिणाम दुखद हो सकते हैं।"

दुनिया भर में गंजेपन को ट्रीट करने के लिए विशेषज्ञ फिनास्टराइड सुझाते हैं।

पशु अध्ययनों में पाया गया कि फिनास्टराइड का लंबे समय तक सेवन मस्तिष्क में सूजन और हिप्पोकैम्पस (जो मस्तिष्क का सीखने, याददाश्त और भावनाओं का केंद्र है) में बदलाव ले आता है।

एफडीए ने 2011 में अवसाद और 2022 में आत्महत्या के विचार को ड्रग के साइड इफेक्ट के तौर पर देखा। हालांकि ब्रेजिस की 2002 से ही इससे जुड़ी खामियों पर नजर थी।

2011 तक, एजेंसी (एफडीए) ने फिनास्टराइड से जुड़ी 18 आत्महत्याओं को दर्ज किया था, लेकिन ब्रेजिस का तर्क है कि दवा के वैश्विक उपयोग के आधार पर, दुनिया भर में वास्तविक संख्या हजारों में हो सकती है।

गंजेपन से जूझ रहे लोगों को दुखी होने की कतई जरूरत नहीं है क्योंकि सौभाग्य से, एक नए अध्ययन ने इसका समाधान खोज निकाला है! ये मीठा और सहज है। स्टीवियोसाइड एक प्राकृतिक स्वीटनर है, जो स्टीविया के पौधे से प्राप्त होता है। यही गंजेपन को दूर करने का प्राकृतिक इलाज हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि स्टीवियोसाइड को मिनोक्सिडिल के साथ मिलाने से यह त्वचा में बेहतर तरीके से समा जाता है। एंड्रोजेनिक एलोपेसिया से पीड़ित चूहों पर परीक्षण करने पर, इस संयोजन ने बालों के रोमों को तेजी से बढ़ने दिया, जिससे नए बाल उग आए।

यह खुद बाल उगाने वाली दवा नहीं है, बल्कि मिनॉक्सिडिल नामक मौजूदा दवा को त्वचा में अब्जॉर्ब करने में मदद करती है। 2025 में ऑस्ट्रेलिया और चीन के शोधकर्ताओं की एक स्टडी में पाया गया कि स्टीवियोसाइड-आधारित माइक्रोनीडल पैच बालों की ग्रोथ को 67 फीसदी तक बढ़ा सकता है। यह खोज उन लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो रोजाना मिनॉक्सिडिल लगाने से परेशान हैं।

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Created On :   15 Nov 2025 8:41 PM IST

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