समाज: कांवड़ यात्रा की आड़ में हिंदू-मुसलमान कर समाज को बांट रहा प्रशासन इमरान मसूद

कांवड़ यात्रा की आड़ में हिंदू-मुसलमान कर समाज को बांट रहा प्रशासन  इमरान मसूद
सहारनपुर के डीआईजी अजय साहनी द्वारा कांवड़ मार्ग में पड़ने वाली दुकानों पर प्रोपराइटर का नाम लिखने के आदेश पर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं। डीआईजी अजय साहनी के आदेश पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने निशाना साधा है।

सहारनपुर, 18 जुलाई (आईएएनएस)। सहारनपुर के डीआईजी अजय साहनी द्वारा कांवड़ मार्ग में पड़ने वाली दुकानों पर प्रोपराइटर का नाम लिखने के आदेश पर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं। डीआईजी अजय साहनी के आदेश पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने निशाना साधा है।

सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पुलिस के आदेश को तुगलकी फरमान कहा। साथ ही ये भी कहा कि प्रशासन समाज को बांटने का प्रयास कर रहा है।

सांसद इमरान मसूद ने कहा, “यूपी पुलिस ने एक तुगलकी फरमान जारी किया है जो समाज को बांटने का काम करेगा। कांवड़ यात्रा का हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी को सम्मान करना चाहिए। उन्हें समाज में एकजुटता का संदेश देना चाहिए। इस तरह की बातें नफरत को बढ़ावा देती हैं, यह फरमान बहुत ही दुखद है।”

उन्होंने यह भी कहा कि कांवड़ बनाने वाले लोगों में मुसलमान भी शामिल हैं, कांवड़ियों पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। कांवड़ियों के पहनने वाले कपड़े सहारनपुर के होजरी में तैयार होते हैं, जो मुस्लिम भाई बनाते हैं। ये लोग हिंदू-मुसलमान को बांटने की बात कर रहे हैं।

इमरान मसूद ने आगे कहा कि हिंदू-मुसलमान की बात मत करो। अगर बात करनी है तो नौजवान के रोजगार, किसानों की फसलों के दाम और व्यापारी के नुकसान की बात करनी चाहिए। ये लोग सिर्फ इधर-उधर की बात कर लोगों का ध्यान भटका देते हैं।

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि वह हार रहे हैं, इसलिए जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। कांवड़ एक श्रद्धा का काम है और उनका सम्मान करना सभी का फर्ज है। उन पर पुष्प वर्षा होनी चाहिए।

बता दें कि मुजफ्फरनगर और सहारनपुर प्रशासन की ओर से कांवड़ यात्रा को लेकर नए आदेश जारी किए गए हैं। इन आदेशों में कहा गया कि कांवड़ मार्ग में पड़ने वाली दुकानों, ढाबों पर प्रोपराइटर यानी मालिक का नाम लिखना अनिवार्य है।

प्रशासन के इस आदेश पर अखिलेश यादव ने भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा, “जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और प्रशासन के पीछे के शासन की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।”

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Created On :   18 July 2024 5:15 PM IST

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