शिक्षा: भारत-जापान साझा संबंध प्रोफेसर सी राज कुमार 24 जून को जापान की संसद को करेंगे संबोधित

टोक्यो, 20 जून (आईएएनएस)। भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय उच्च शिक्षा संबंधों को मजबूत करने और दोनों देशों के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार 24 जून को जापान की संसद (डाइट) को संबोधित करेंगे।
जापान की संसद में यह महत्वपूर्ण और सम्मानित भाषण दोनों देशों के साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों को सुदृढ़ करने का लक्ष्य रखता है। इसके अलावा, यह भारतीय गणतंत्र के 75 साल पूरे होने का उत्सव है, और यह दर्शाता है कि देश ने उस समय जिन प्रतिबद्धताओं को अपनाया था उसे कैसे पूरा किया है।
साझा लोकतांत्रिक एजेंडे में वाइस चांसलर डॉ. राज कुमार और भारतीय प्रतिनिधि जापान की संसद का दौरा करेंगे, जहां वे स्थानीय संसद सदस्यों के साथ संवाद करेंगे।
इस यात्रा में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा 'भारत और जापान: लोकतंत्र में साझेदार, नवाचार के चालक और एक सतत भविष्य के निर्माता' विषय पर एक विशेष संबोधन भी दिया जाएगा।
डॉ. राज कुमार की शैक्षणिक और बौद्धिक उच्च-स्तरीय यात्रा में आगामी सप्ताह में जापान भर में गतिविधियों और कार्यक्रमों की एक महत्वाकांक्षी और व्यापक श्रृंखला शामिल है।
अभिषेक मनु सिंघवी, शिक्षाविदों और कानूनी दिग्गजों के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ डॉ. राज कुमार का उद्देश्य दोनों देशों के बीच उच्च शिक्षा संबंधों को बढ़ावा देने और सुदृढ़ करने के लिए अग्रणी संस्थानों, शिक्षाविदों और वैचारिक जन नेताओं के साथ दीर्घकालिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
दूसरा भारत-जापान उच्च शिक्षा फोरम 2025 20 जून की शाम को आयोजित किया जाएगा। इस मौके पर ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में सिंघवी सेंटर फॉर कंस्टीट्यूशनल, पार्लियामेंट्री एंड लीगल स्टडीज का अनावरण भी किया जाएगा।
शिक्षा फोरम में टोक्यो में भविष्य के विश्वविद्यालय: एशिया और उससे परे लोकतंत्र, संवाद और विकास को बढ़ावा देने पर पैनल चर्चा शामिल होगी।
जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे जबकि भारत के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक एम. सिंघवी विशिष्ट अतिथि होंगे।
कुलपति डॉ. सी. राज कुमार निम्नलिखित पैनलिस्टों के साथ चर्चा की शुरुआत करेंगे: टेंपल यूनिवर्सिट जापान कैंपस के प्रेसिडेंट और डीन प्रोफेसर मैथ्यू जे. विल्सन, सोफिया यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष प्रोफेसर मिकी सुगीमुरा, मुसाशी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नोरियुकी ताकाहाशी, यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी की सीनियर वाइस रेक्टर और संयुक्त राष्ट्र की सहायक महासचिव प्रोफेसर सवाको शिराहासे, टोक्यो यूनिवर्सिटी के वाइस प्रेसिडेंट प्रोफेसर युजिन यागुची, चुओ यूनिवर्सिटी की वाइस प्रेसिडेंट प्रोफेसर माकी कुनीमात्सु, और अमेरिका के हवाई प्रांत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज तथा ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में कानून के प्रतिष्ठित प्रोफेसर जस्टिस माइकल डी. विल्सन।
प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने कहा कि जापान के साथ तीन मुख्य बातों पर ध्यान देना है: उच्च शिक्षा में सहयोग और नई साझेदारियां, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रथाओं की समझ और हमारे देशों के सामने आने वाली जलवायु चुनौतियों पर गहन चर्चा। भारत तेजी से प्रगति कर रहा है और हाल ही में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। जापान के साथ हमारा लंबा और मजबूत रिश्ता रहा है, और दोनों देशों के शीर्ष नीति निर्माताओं के बीच सहयोग के लिए नियमित रूप से बैठकें होती हैं। यह यात्रा इन नींवों को और मजबूत करेगी और समान विचारधारा वाले बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और पेशेवरों को एक साथ लाकर हमारे सांस्कृतिक और शैक्षिक रिश्ते को बढ़ाएगी।
इस यात्रा के दौरान जापान के प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिनमें एशिया यूनिवर्सिटी, चुओ यूनिवर्सिटी, दोशीशा यूनिवर्सिटी, ओसाका गाकुइन यूनिवर्सिटी और कंसाई यूनिवर्सिटी आदि शामिल हैं।
इन समझौतों से छात्रों का आदान-प्रदान, शोध सहयोग, शैक्षणिक साझेदारी और अन्य गतिविधियां संभव होंगी। बाद में, यूएनयू संवाद श्रृंखला 'भारत और विश्व: लोकतंत्र, विकास और न्याय' के तहत डॉ. अभिषेक एम. सिंघवी और डॉ. सी. राज कुमार टोक्यो में यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी में भाषण देंगे। उनके साथ प्रोफेसर (डॉ.) त्शिलिद्जी मारवाला, रेक्टर, संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय और संयुक्त राष्ट्र के अवर-महासचिव भी शामिल होंगे।
यह ऐतिहासिक कार्यक्रम ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के सिंघवी सेंटर फॉर कॉन्स्टीट्यूशनल, पार्लियामेंट्री एंड लीगल स्टडीज द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।
सिंघवी ने कहा कि भारत और जापान के बीच दूरदर्शी सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। एक वकील के तौर पर मेरा मानना है कि लोकतंत्र में कानून के शासन और व्यक्तिगत नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों के लिए हमारे पास एक साझा दृष्टिकोण है। भारत 75 वर्षों से स्वतंत्र है और देश ने कई चुनौतियों को पार किया है और अपने मूल सिद्धांतों के प्रति सच्चा रहा है। यह एक अनूठा देश है जिसमें विविध संस्कृति, भूगोल और आबादी है और कई भाषाएं, विश्वास और समुदाय हैं। फिर भी, हमने हमेशा विकास, वृद्धि और मानव उत्थान के लिए समान आधार पाया है और इसने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत और लचीला बनाया है।
यात्रा के दौरान डॉ. राज कुमार टेम्पल यूनिवर्सिटी जापान, क्योटो परिसर में छात्रों को संबोधित करेंगे, जहां वह 75 वर्ष की आयु में भारत: विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की कहानी विषय पर व्याख्यान देंगे। इस अवसर पर टेम्पल यूनिवर्सिटी जापान परिसर के अध्यक्ष और डीन प्रोफेसर मैथ्यू जे. विल्सन भी उपस्थित रहेंगे।
भारत और जापान द्वारा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के बारे में साझा चिंताओं के हिस्से के रूप में डॉ. राज कुमार जापान-भारत स्थिरता सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और जेजीयू की स्थिरता विकास रिपोर्ट 2025 का विमोचन करेंगे। इसके बाद टोक्यो यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर फ्यूचर इनिशिएटिव्स के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) केंसुके फुकुशी के विशेष संबोधन के साथ जैव विविधता संरक्षण का समर्थन करने और हरित नवाचार में तेजी लाने में प्रशासनिक ढांचे की भूमिका पर एक पैनल चर्चा होगी।
अन्य पैनलिस्टों में वसेडा यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एशिया-पैसिफिक स्टडीज के डीन प्रोफेसर अत्सुशी कोटा, यूएनयू-आईएएस के रिसर्च फेलो और अकादमिक एसोसिएट डॉ. अनुपम खजूरिया, टोक्यो यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर फ्यूचर इनिशिएटिव्स के प्रोफेसर मासाहिरो सुगियामा और टोक्यो यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एंड लाइफ साइंसेज के प्रोफेसर शिजुका हाशिमोटो शामिल हैं।
इसके बाद क्योटो विश्वविद्यालय, किको नेटवर्क और जेजीयू द्वारा आयोजित एक सेमिनार का आयोजन किया जाएगा, जिसका विषय होगा अमेरिका और भारत में हाल के जलवायु मुकदमों से सबक: क्योटो में जापान के लिए निहितार्थ। इसमें जस्टिस माइकल डी. विल्सन द्वारा अमेरिका में जलवायु से जुड़ी मुकदमेबाजी पर एक व्याख्यान शामिल होगा। इसके बाद डॉ. सी. राज कुमार भारत में इको-कंस्टीट्यूशनलिज्म : पर्यावरण अधिकार, न्यायिक सक्रियता और नागरिक समाज की भूमिका पर एक व्याख्यान देंगे। अभिषेक एम. सिंघवी द्वारा कानून नीति और ग्रह : सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत के रास्ते पर अपने विचार रखेंगे।
प्रतिनिधिमंडल में अमेरिका के हवाई प्रांत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में कानून के प्रतिष्ठित प्रोफेसर जस्टीस माइकल डी. विल्सन भी शामिल हैं।
प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों में जेजीयू के अकादमिक प्रशासन कार्यालय के डीन प्रोफेसर आर. पद्मनाभन और जेजीयू में संयुक्त राष्ट्र अध्ययन केंद्र के वाइस डीन और कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ) वेसलिन पोपोवस्की और अंतर्राष्ट्रीय मामलों तथा वैश्विक पहल कार्यालय के वाइस डीन और निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अखिल भारद्वाज शामिल होंगे।
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Created On :   20 Jun 2025 7:43 PM IST