व्यापार: भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकों की स्थिति काफी मजबूत आरबीआई

भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकों की स्थिति काफी मजबूत आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सोमवार को जारी की गई फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अर्थव्यवस्था और घरेलू फाइनेंसियल सिस्टम मजबूत आर्थिक आधार, कंपनियों और बैंकों की स्वस्थ बैलेंसशीट और दशकीय उच्च स्तर पर मौजूद रिटर्न ऑन एसेट्स आधारित है।

मुंबई, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सोमवार को जारी की गई फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अर्थव्यवस्था और घरेलू फाइनेंसियल सिस्टम मजबूत आर्थिक आधार, कंपनियों और बैंकों की स्वस्थ बैलेंसशीट और दशकीय उच्च स्तर पर मौजूद रिटर्न ऑन एसेट्स आधारित है।

रिपोर्ट में कहा गया कि मजबूत आधार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि जारी रहेगी।

रिपोर्ट में बताया गया कि शेड्यूल कमर्शियल बैंकों में मजूबती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बैंक का मुनाफा मजबूत बना हुआ है। नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) कई दशकों के निचले स्तर पर पहुंच गया है। रिटर्न ऑन एसेट्स (आरओए) और रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) कई दशकों के उच्चतम स्तर पर हैं।

केंद्रीय बैंक ने बताया कि मैक्रो स्ट्रेस से पता चला कि सभी बैंकों के पास पर्याप्त कैपिटल मौजूद है और विपरित परिस्थितियों का सामाना कर सकते हैं। स्ट्रेस टेस्ट में म्यूचुअल फंड और क्लियरिंग कॉरपोरेशन की स्थिति भी मजबूत थी।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) की स्थिति पर्याप्त पूंजी बफर, मजबूत ब्याज मार्जिन और आय एवं बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता के साथ स्वस्थ बनी हुई हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि बीमा क्षेत्र का कंसोलिडेटेड सॉल्वेंसी रेश्यो भी न्यूनतम सीमा से ऊपर बना हुआ है।

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली अनिश्चितता बढ़ने के बावजूद मजबूत बनी हुई है।

हालांकि, निकट अवधि के जोखिम कम हो गए हैं, लेकिन एसेट के मूल्यांकन में वृद्धि, उच्च सार्वजनिक ऋण, लंबे समय तक भू-राजनीतिक संघर्ष और उभरती टेक्नोलॉजी से जोखिम जैसे कारक वित्तीय स्थिरता के लिए मध्यम अवधि के जोखिम पैदा करते हैं।

आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इक्विटी मूल्यांकन में वृद्धि, माइक्रोफाइनेंस और उपभोक्ता ऋण खंडों में तनाव की स्थिति और बाहरी स्पिलओवर से जोखिम जैसी कमजोरियों पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है।

वैश्विक विनियामक पहलों ने तकनीकी प्रगति, साइबर सुरक्षा खतरों और तीसरे पक्ष पर निर्भरता से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर-बैंक वित्तीय मध्यस्थों और सीमा पार भुगतान प्रणालियों में कमजोरियों को दूर करना प्राथमिकता बनी हुई है।

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Created On :   30 Dec 2024 7:24 PM IST

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