संस्कृति: रक्षाबंधन दिखावे का नहीं, भावनाएं सहेजने और एक-दूसरे के साथ खड़े रहने का पर्व ईशा कोपिकर

रक्षाबंधन दिखावे का नहीं, भावनाएं सहेजने और एक-दूसरे के साथ खड़े रहने का पर्व ईशा कोपिकर
अभिनेत्री ईशा कोपिकर को फिल्मी दुनिया में खल्लास गर्ल के नाम से जाना जाता है। आज रक्षाबंधन के मौके पर उन्होंने अपने भाई के लिए ढेर सारा प्यार और दुलार भेजा है।

मुंबई, 9 अगस्त (आईएएनएस)। अभिनेत्री ईशा कोपिकर को फिल्मी दुनिया में खल्लास गर्ल के नाम से जाना जाता है। आज रक्षाबंधन के मौके पर उन्होंने अपने भाई के लिए ढेर सारा प्यार और दुलार भेजा है।

एक्ट्रेस ने इसे सेलिब्रेट करते हुए बताया कि उनके लिए रक्षाबंधन के मायने क्या हैं। उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन किसी दिखावे या भव्य सार्वजनिक प्रदर्शन का नहीं है, बल्कि साथ होने, जुड़ाव और भावनात्मक तौर पर एक दूजे से जुड़े रहने का पर्व है। उन्होंने बताया कि बचपन में वो अपने माता-पिता और भाई अनोश सहित अपने परिवार के साथ घर पर सादगी से इस त्योहार को मनाती थीं।

ईशा ने कहा, "हमेशा से यह छोटे-छोटे पलों के बारे में रहा है। यह अब एक परंपरा बन गई है। मम्मी वही खास पकवान बनाती हैं जो सिर्फ वही बना सकती हैं, हम सब अपने फोन और गैजेट्स को एक तरफ रख देते हैं और बस साथ में समय बिताते हैं। वह समय, वह हंसी, वह रिश्ता, यही सब मेरे लिए राखी को इतना खास बनाता है।"

वो हंसते हुए यह भी कहती हैं कि वह हर साल अपने भाई से बड़े आम से तोहफे मांगती हैं वैसे ही जैसे अधिकतर बहनें डिमांड करती हैं, लेकिन वो तुरंत यह भी स्पष्ट कर देती हैं कि उनके लिए यह त्योहार केवल उपहार को लेकर नहीं है।

एक्ट्रेस ने कहा, "वो तो बस मजेदार पल होते हैं, लेकिन जो सच में मायने रखता है वो ये है कि आपका भाई हर हाल में आपके साथ खड़ा हो।" ईशा कहती हैं, उनके भाई ने हमेशा उन्हें ताकत दी है, एक ऐसा रिश्ता जिसे वह हल्के में नहीं लेतीं।

एक्ट्रेस ने कहा, "चाहे बचपन की शरारतें हों या बड़े होने की चुनौतियां, वह हमेशा मेरे साथ खड़े रहे हैं। रक्षाबंधन तोहफों का नहीं, साथ होने का त्योहार है और मेरे भाई ने हर अच्छे-बुरे वक्त में मुझे अपनी मौजूदगी दी है।"

क्या चुने हुए रिश्ते भी उतने ही अहम होते हैं? इस पर उन्होंने कहा, "मेरी कुछ बहुत प्यारी दोस्त हैं जो बहनों जैसी हैं, और कुछ करीबी दोस्त जो भाइयों जैसे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि किसी को भाई या बहन कह देने से वो रिश्ता नहीं बन जाता, जब तक आप उस रिश्ते की सच्ची जिम्मेदारी निभाने को तैयार नहीं हों। इन रिश्तों में जिम्मेदारी, भरोसा और वफादारी होती है। ये सिर्फ राखी बांधने या गिफ्ट देने की बात नहीं है। यह हर साल, हर हाल में साथ देने की बात है।"

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Created On :   9 Aug 2025 2:10 PM IST

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