प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा से कर्नाटक के कॉफी उत्पादक उत्साहित

प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा से कर्नाटक के कॉफी उत्पादक उत्साहित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 127वें 'मन की बात' कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों में भारत में निर्मित कॉफी के बारे में बात की और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसकी बढ़ती लोकप्रियता की प्रशंसा की।

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 127वें 'मन की बात' कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों में भारत में निर्मित कॉफी के बारे में बात की और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसकी बढ़ती लोकप्रियता की प्रशंसा की।

उन्होंने अपने मासिक रेडियो प्रसारण में राष्ट्र को संबोधित करते हुए ओडिशा के कोरापुट, कर्नाटक के चिकमगलूर, कूर्ग और हासन, तमिलनाडु के पुलनी, शेवरॉय, नीलगिरि और अन्नामलाई, केरल के वायनाड, त्रावणकोर और मालाबार सहित कुछ प्रमुख कॉफी उत्पादक क्षेत्रों का नाम लिया और पेय पदार्थों के क्षेत्र में देश को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाने के लिए वहां के कॉफी उत्पादकों के प्रयासों की सराहना की।

प्रधानमंत्री द्वारा कर्नाटक के चिकमगलूर, कूर्ग और हासन को प्रमुख कॉफी बेल्ट के रूप में सराहे जाने से राज्य के कॉफी उत्पादक, श्रमिक और व्यापारी उत्साहित और रोमांचित हैं।

कई लोगों ने आईएएनएस से बात करते हुए प्रधानमंत्री से सीधे प्रशंसा प्राप्त करने पर अपनी खुशी और उत्साह साझा किया।

उन्होंने कहा कि यह सुनकर कि कर्नाटक की कॉफी की सुगंध अब अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी महसूस की जा रही है, वे दुनिया की सबसे ऊंची जगह पर महसूस कर रहे हैं।

स्थानीय निवासी कबड्डी चेतन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'मन की बात' कार्यक्रम में चिकमंगलूर और कूर्ग कॉफी का जिक्र करने से हमें गर्व महसूस हुआ है। यह हमारे क्षेत्र के लिए एक बड़ा क्षण है क्योंकि हमारी कॉफी दुनिया भर का ध्यान आकर्षित कर रही है।

कॉफी फॉर्म के एस्टेट मैनेजर राजेंद्र ने कहा कि कर्नाटक की धुंधली पहाड़ियों से कॉफी की खुशबू अब पूरे देश में पहुंच रही है और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 'मन की बात' में इसका जिक्र करने से स्थानीय किसानों और मजदूरों में गर्व और नई उम्मीद की भावना जगी है।

कॉफी बागान मालिक डॉ. एमएम चेंगप्पा इस प्रशंसा से बेहद खुश थे, लेकिन उन्होंने कॉफी की फसल पर पड़ रहे अनिश्चित मौसम के बारे में भी बात की। उन्‍होंने कहा कि बदलते मौसम के मिजाज कॉफी क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं। अक्टूबर में हुई भारी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर खरपतवार उग आए, जिससे हमें अतिरिक्त मजदूर लगाने पड़े। दिसंबर में और बारिश की उम्मीद के साथ, रखरखाव की लागत और बढ़ जाएगी।

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Created On :   28 Oct 2025 11:54 PM IST

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