मार्क रोबर भारत में: कैसे एक यूट्यूब महापुरुष भारतीय युवाओं में जुगाड़ की भावना को प्रज्वलित कर रहे हैं

कैसे एक यूट्यूब महापुरुष भारतीय युवाओं में जुगाड़ की भावना को प्रज्वलित कर रहे हैं
मार्क रोबर की बहुचर्चित भारत यात्रा ने भारतीय नवाचार समुदाय में उत्साह की लहर दौड़ा दी है।

नई दिल्ली, मई 17: मार्क रोबर की बहुचर्चित भारत यात्रा ने भारतीय नवाचार समुदाय में उत्साह की लहर दौड़ा दी है। विज्ञान को मनोरंजन में बदलने के लिए प्रसिद्ध, पूर्व अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अभियंता और विश्वविख्यात यूट्यूब व्यक्तित्व ने अपनी अनोखी शैक्षिक शैली को भारतीय धरती पर प्रस्तुत किया—लेकिन यह केवल प्रशंसकों से मिलने-जुलने की यात्रा नहीं थी। यह एक सांस्कृतिक क्षण बन गया है: ऐसा क्षण जो भारतीय जुगाड़ की चतुरता का उत्सव है और उसे वैश्विक मंच पर पहुंचा रहा है।

नायक जैसे स्वागत के साथ भारत में आगमन

मार्क रोबर का भारत में स्वागत एक नायक की भांति हुआ। विश्व भर में छियासठ करोड़ से अधिक अनुयायियों के साथ, उनका प्रभाव भारतीय विद्यार्थियों, तकनीकी कलाकारों और नवाचार प्रेमियों के बीच तुरंत दिखाई दिया।

मुंबई पहुंचते ही उनका कार्यक्रम नवाचार केंद्रों, छात्र सम्मेलनों और सामूहिक रचनात्मक आयोजनों से भर गया।

उनकी पहली बड़ी उपस्थिति एक स्थानीय नवाचार संस्थान में हुई, जहाँ उन्होंने सैकड़ों छात्रों और रचनाकारों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने मंगलयान के यंत्र बनाए और डाकचोरों को पकड़ने के लिए चमकदार बम जाल तैयार किए। उन्होंने कहा, “महत्त्वपूर्ण यह नहीं कि आपके पास क्या है, बल्कि यह कि किसी समस्या को सुलझाने को लेकर आप कितने उत्साहित हैं— वहीं से हर महान आविष्कार की शुरुआत होती है।”

रचनात्मकता से सीमाओं का अतिक्रमण

भारतीय रचनाकारों के साथ सहयोग यह यात्रा केवल भाषण देने तक सीमित नहीं रही— यह मिलकर रचनाएं करने का भी अवसर था। भारत में रहते हुए रोबर ने कई प्रसिद्ध भारतीय रचनाकारों के साथ ज्ञानवर्धक तथा रोचक सामग्री तैयार की।

एक विशेष लोकप्रिय दृश्य में उन्होंने मिस्टर इंडियन हैकर के साथ मिलकर प्लास्टिक की बोतलों और छोटे यंत्रों से एक उड़नपट्टी गाड़ी (होवरबोर्ड) बनाई। उन्होंने स्लेप्वाइंट के साथ मिलकर चाय उंडेलने के लिए एक यांत्रिक युक्ति (रूबगोल्डबर्ग यंत्र) बनाई— देसी स्वाद के साथ वैज्ञानिक प्रयोग।

जुगाड़ प्रतियोगिता: भारतीय चतुराई को नमन

रोबर की इस यात्रा का मूल उद्देश्य था— मार्क रोबर जुगाड़ प्रतियोगिता का शुभारंभ, जो भारतीय जुगाड़ के ज्ञान और सृजनात्मकता को सम्मानित करती है। जुगाड़, जो भारतीय संस्कृति में गहराई से समाहित है, सीमित संसाधनों से समस्याओं का समाधान निकालने की कला है।

इस प्रतियोगिता में भारतीयों को आम घरेलू वस्तुओं से उपयोगी उपकरण बनाकर उस कालघंटालघु चलचित्र बनाना होगा और उसे सामाजिक मंचों पर #मार्करोबरजुगाड़संकेत के साथ साझा करना होगा। प्रविष्टियाँ प्रतियोगिता की आधिकारिक वेबसाइट पर भी पंजीकृत करनी होंगी।

₹पचास लाख की कुल पुरस्कार राशि (प्रत्येक दस विजेताओं को ₹पाँच लाख) ने छात्रों, नवप्रवर्तकों तथा ग्रामीण युवाओं का ध्यान आकर्षित किया है। रोबर ने कहा, “आपके पास क्या नहीं है, यह महत्वपूर्ण नहीं— जो कुछ आपके पास है, उसी से परिवर्तन संभव है।”

भारत में निर्माण संस्कृति को नई प्रेरणा

इस पहल से देश भर में हलचल मच गई है। विद्यालय और महाविद्यालय विद्यार्थियों को समूह बनाकर भाग लेने हेतु प्रेरित कर रहे हैं, सामाजिक मंचों पर नवाचारियों की भरमार हो गई है, तथा तकनीकी मंचों पर प्रतियोगिता की चर्चा जोरों पर है।

मार्क रोबर ने अपने अनुभवों, सहयोगों और इस प्रतियोगिता के माध्यम से भारतीय रचनात्मकता के हृदय से सच्चा संबंध स्थापित किया है। उनका संदेश स्पष्ट है: “नवाचार उन्नत उपकरणों से नहीं, बल्कि जिज्ञासु मन से उत्पन्न होता है।”

Created On :   19 May 2025 1:15 PM IST

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