पाक अधिकृत कश्मीर में लोगों ने की हड़ताल, परिवहन और बाजार बंद

पाक अधिकृत कश्मीर में लोगों ने की हड़ताल, परिवहन और बाजार बंद
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सोमवार को पब्लिक एक्शन कमेटी की ओर से की गई हड़ताल के आह्वान के बाद लोगों ने अपनी दुकानें बंद कर ली और चक्का जाम हड़ताल की।

इस्लामाबाद, 29 सितंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सोमवार को पब्लिक एक्शन कमेटी की ओर से की गई हड़ताल के आह्वान के बाद लोगों ने अपनी दुकानें बंद कर ली और चक्का जाम हड़ताल की।

स्थानीय मीडिया के अनुसार 38 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर यह विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया। हड़ताल के चलते मुज़फ्फराबाद सहित पूरे क्षेत्र में बाजार, वाणिज्यिक केंद्र और परिवहन पूरी तरह ठप रहे।

स्थानीय न्यूज टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, होटल और दुकानें बंद रहीं जबकि सड़कों पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से थम गई। स्कूलों में भी कक्षाएं खाली रहीं क्योंकि अधिकांश छात्र पढ़ने नहीं पहुंचे।

इस बीच, पीओके में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं लगातार दूसरे दिन भी बंद रहीं। टेलीफोन सेवाओं में भी बाधा रही, जिससे लोग बाहरी दुनिया से कटे रहे।

पब्लिक एक्शन कमेटी ने अपनी 38 सूत्रीय मांगों में शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों को समाप्त करने और अभिजात वर्ग को दिए गए विशेषाधिकारों को वापस लेने जैसी बातें शामिल की हैं। समिति ने चेतावनी दी है कि दिन में बाद में एक बड़ी रैली भी निकाली जाएगी।

बता दें कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लोग लंबे समय से आतंकवाद और सरकारी नीतियों के कारण भारी मानव, आर्थिक और मानसिक संकट झेल रहे हैं। यह मुद्दा हाल ही में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की 60वीं बैठक में भी उठाया गया था, जहां वक्ताओं ने पीओके के लोगों की स्थिति को पाकिस्तान की आतंकवादी नीतियों का परिणाम बताया।

ग्रीक सिटी टाइम्स में पॉल एंटोनोपोलोस ने लिखा कि अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों और खुले स्रोत के आंकड़ों से स्पष्ट है कि यह क्षेत्र आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार है। लगातार हमलों और अस्थिरता ने विकास परियोजनाओं को बाधित किया है। पर्यटन, स्वास्थ्य और शिक्षा सुधार की योजनाएं बार-बार रुक जाती हैं और संसाधन सुरक्षा पर खर्च हो जाती हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जो थोड़ी बहुत उद्योग और पर्यटन की संभावनाएं यहां बनीं, उनका लाभ भी पाकिस्तान सेना से जुड़ी कंपनियां उठा लेती हैं, जिससे स्थानीय लोग खाली हाथ रह जाते हैं।

Created On :   29 Sept 2025 5:45 PM IST

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