लोकेशन मांगने वाले मोबाइल ऐप से निजी जानकारी लीक होने का खतरा आईआईटी दिल्ली
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुरुवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं की एक चौंकाने वाली स्टडी के मुताबिक, जो मोबाइल ऐप लोकेशन एक्सेस मांगते हैं, वे आपकी जरूरी निजी जानकारी लीक कर सकते हैं, जिसमें आपकी एक्टिविटी, आस-पास का माहौल और यहां तक कि आप जिस कमरे या फ्लोर पर हैं, उसका लेआउट भी शामिल है।
जर्नल एटीएम ट्रांजेक्शन ऑन सेंसर नेटवर्क्स में पब्लिश हुई इस स्टडी में एंड्रोकॉन पर फोकस किया गया था—यह पहला सिस्टम है जिसने यह दिखाया कि सटीक लोकेशन परमिशन वाले एंड्रॉयड ऐप्स के लिए पहले से मौजूद “फाइन-ग्रेन्ड” जीपीएस डेटा एक सीक्रेट सेंसर के तौर पर काम कर सकता है।
कैमरा, माइक्रोफोन या मोशन सेंसर का इस्तेमाल किए बिना, एंड्रोकॉन नौ लो-लेवल जीपीएस पैरामीटर -- जैसे कि डॉपलर शिफ्ट, सिग्नल पावर और मल्टीपाथ इंटरफेरेंस—की व्याख्या करके यह पता लगा सकता है कि कोई बैठा है, खड़ा है, लेटा हुआ है, मेट्रो के अंदर है, फ्लाइट में है, पार्क में है, या किसी भीड़ वाली खुली जगह पर है। आईआईटी दिल्ली के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन साइबर सिस्टम्स एंड इंफॉर्मेशन एश्योरेंस के एम टेक स्टूडेंट सोहम नाग के नेतृत्व में शोधार्थियों ने बताया कि वे यह भी पता लगा सकते हैं कि कमरा भीड़ वाला है या खाली।
शोर वाले रॉ डेटा को साफ जानकारी में बदलने के लिए, टीम ने क्लासिकल सिग्नल प्रोसेसिंग को मॉडर्न मशीन लर्निंग के साथ मिलाया।
आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर स्मृति आर. सारंगी ने कहा, “एक साल तक चली स्टडी में, जो 40,000 वर्ग किमी और कई अलग-अलग फोन पर की गई, एंड्रोकॉन बड़े सटीक अंदाज में आस-पास के माहौल का पता लगाने में 99 प्रतिशत तक और इंसानी गतिविधियों को पहचानने में 87 प्रतिशत तक कामयाब रहा। यहां तक कि फोन के पास हाथ हिलाने जैसी छोटी-मोटी गतिविधियों को भी भांपने में सफल रहा।”
यही फ्रेमवर्क सिर्फ जीपीएस पैटर्न और यूजर ट्रैजेक्टरी का इस्तेमाल करके 4 मीटर से कम की गलती के मार्जिन के साथ इनडोर फ्लोर मैप भी बना सकता है। ये कमरे, सीढ़ियां और लिफ्ट की पहचान कर सकता है।
जबकि एंड्रोकॉन कॉन्टेक्स्ट-अवेयर, गोपनीयता का ध्यान रखने वाली स्मार्ट सेवाओं के लिए रोमांचक संभावनाओं के द्वार खोलता है, वहीं, यह एक गंभीर सुरक्षा कमी को भी उजागर करता है। टीम ने कहा कि सटीक लोकेशन परमिशन वाला कोई भी एंड्रॉयड ऐप यूजर की साफ सहमति के बिना संवेदनशील कॉन्टेक्स्ट की जानकारी का पता लगा सकता है।
सारंगी ने आगे कहा, “यह स्टडी जीपीएस का एक अनदेखा पहलू दिखाती है: एक शक्तिशाली लेकिन शांत चैनल जो हमारे आस-पास की दुनिया को महसूस कर सकता है। एंड्रोकॉन रोजमर्रा के स्मार्टफोन को अप्रत्याशित रूप से एक वैज्ञानिक उपकरण में बदल देता है और यह याद दिलाता है कि सबसे जानी-पहचानी टेक्नोलॉजी में भी छिपे हुए रहस्य होते हैं जिनका गलत इस्तेमाल लोग कर सकते हैं।”
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Created On :   30 Oct 2025 1:47 PM IST












