समाज: दिल्ली की रोहिंग्या बस्ती में सरकारी सुविधाओं का अंबार
नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली के कालिंदी कुंज के पास बसे रोहिंग्या परिवारों को शिक्षा, चिकित्सा, पीने का साफ पानी, भोजन समेत अन्य जरूरी सामान मुहैया कराया जा रहा है।
रोहिंग्या परिवारों की यह बस्ती दिल्ली के कालिंदी कुंज के पास जैतपुर रोड पर है। इस रोहिंग्या बस्ती में तकरीबन 54 परिवार रह रहे हैं, जिसमें 300 से ज्यादा लोग हैं। यहां रह रहे लोगों ने बताया कि उन्हें और उनके परिवारों को रोजाना पीने के साफ पानी समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
यहां पर लोग पिछले 12 साल से रह रहे हैं। अपना देश छोड़कर आए सभी रोहिंग्या अपने आप को शरणार्थी कहते हैं। रोहिंग्या बस्ती में रहने वाले 50 वर्षीय सैफूदुल्ला ने आईएएनएस को बताया कि उनकी बस्ती में रहने वाले बच्चे, खादर इलाके में बने सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं।
रोजाना साफ पानी का टैंकर उनकी बस्ती में आकर सभी को नि:शुल्क स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाता है। यही नहीं इस रोहिंग्या बस्ती में हर 15 दिन में अस्पताल से एक चिकित्सा वैन आकर लोगों का इलाज करती है और उन्हें फ्री में दवाइयां भी उपलब्ध कराती है।
सैफूदुल्ला ने बताया कि हर हफ्ते किसी न किसी एनजीओ के लोग आकर उन्हें खाने-पीने का सामान देते हैं। सर्दियों में उन्हें कंबल और कई अन्य सामान भी दिए गए थे। इसके साथ-साथ सभी आसपास के इलाकों में मजदूरी कर अपने जीवन यापन के लिए पैसे भी कमाते हैं।
बस्ती में रहने वाले नौजवान नूर मोहम्मद ने आईएएनएस को बताया कि बस्ती में रहने वाले नौजवान आसपास की जगहों पर जाकर काम करते हैं। इससे जीवन यापन के लिए 9 से 10 हजार रुपए महीने की आमदनी हो जाती है। नूर मोहम्मद ने बताया कि उनकी बस्ती के बच्चे अब खादर स्थित सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं जिसकी वजह से वह लिखना-पढ़ना सीख रहे हैं, जो उनके भविष्य के लिए काफी बेहतर होगा।
गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने सीएए लागू किया है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय से संबंधित प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने की सुविधा मिलेगी।
यह कानून तीन पड़ोसी देशों के उन सभी अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है जो लंबे समय से भारत में शरण लिए हुए हैं। इन लोगों ने भारत में इसलिए शरण ली थी क्योंकि वह अपने मुल्कों में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हुए थे।
सीएए कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, उसकी नागरिकता छीनने का कोई भी प्रावधान नहीं है। सीएए को लेकर दूसरी ओर कई राजनीतिक दलों ने अपना विरोध जताया है। सीएए लागू होने को लेकर राजनीतिक दलों ने कहा कि यहां रहने वाले या आने वाले शरणार्थियों को कैसे सरकार नौकरी और अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी। दूसरी ओर वर्षों से यहां रह रहे रोहिंग्या को कई ऐसी सुविधाएं मिल रही हैं, जो एक आम नागरिक को मिलती हैं।
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Created On :   14 March 2024 7:34 PM IST