राष्ट्रीय: यूसीसी को कोर्ट में चुनौती देगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मुहर्रम पर सीएम योगी के बयान पर भी एतराज

यूसीसी को कोर्ट में चुनौती देगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मुहर्रम पर सीएम योगी के बयान पर भी एतराज
समान नागरिक संहिता पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य कमाल फारुकी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि हमें यूसीसी किसी भी हाल में स्वीकार नहीं है और वे इस कानून को कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा, मुस्लिमों के पर्सनल कानून में किसी भी तरह का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है।

नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। समान नागरिक संहिता पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य कमाल फारुकी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि हमें यूसीसी किसी भी हाल में स्वीकार नहीं है और वे इस कानून को कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा, मुस्लिमों के पर्सनल कानून में किसी भी तरह का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है।

आईएएनएस से बात करते हुए कमाल फारुकी ने कहा, यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान का हिस्सा नहीं है, इसलिए ये हमें स्वीकार नहीं है। संविधान हमें अपने धर्म का अनुसरण करने की पूरी आजादी देता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि अपने धर्म का पालन कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें संविधान से पर्सनल लॉ मिला है। जो हमारे कुरान मजीद ने बताए हैं, उसमें हम किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं। इसके खिलाफ बने कानून को हम चुनौती देंगे।

उन्होंने तलाक के बाद मुस्लिम महिलाओं को गुजारा-भत्ते देने के कोर्ट के फैसले पर कहा कि इसके लिए रविवार को हमारी वर्किंग कमेटी की बैठक हुई है, इसमें चर्चा हुई है कि सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले पर किस तरह से प्रतिक्रिया दी जाएगी।

फारुकी ने सीएम योगी के मुहर्रम के संबंध में दिए गए बयान पर कहा कि, अगर मुहर्रम नहीं होगा, तो रामलीला, गुरुनानक जयंती आदि भी बंद होना चाहिए। सड़क पर कोई भी धार्मिक कार्यक्रम नहीं होना चाहिए। रामलीला को भी बंद कर देना चाहिए। सबके लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते हैं। इस देश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई सब समान हैं।

एआईएमपीएलबी प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने भी यूसीसी के मामले पर आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि भारत विविधताओं का देश है, इसलिए अगर यहां सब एक समान कर दिया गया, तो अशांति पैदा होगी। हमारे यहां आईपीसी और सीआरपीसी के तहत कानून भी एक समान नहीं है, संविधान में भी समानता नहीं है, वहां भी अपवाद है। हम यूसीसी को चुनौती देंगे।

उन्होंने गुजारे-भत्ते को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत का फैसला शरीयत के कानून से टकराता है। ये फैसला औरतों के लिए और मुसीबत खड़ी करेगा। उन्होंने तर्क दिया है कि अगर आदमी को तलाक के बाद भी सारी जिंदगी मेंटेनेंस देना होगा, तो वो तलाक ही नहीं देगा, और रिश्तों में जो तल्खी आएगी, उसकी वजह से जिंदगी भर औरत को भुगतना होगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी ने बोर्ड को अथॉरिटी दी है कि लीगल कमेटी से बात कर इस फैसले को कैसे वापस लिया जा सकता है, इस पर काम करें।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान को लेकर कहा कि उन्होंने सिर्फ मुहर्रम का जिक्र क्यों किया है, कावड़ यात्रा का जिक्र क्यों नहीं किया है? उत्तर प्रदेश में सड़कों पर और भी त्योहार मनाए जाते हैं, जागरण होते हैं, लेकिन मुहर्रम का जिक्र क्यों किया जा रहा है? यह सिर्फ दो समुदायों को आपस में लड़ाने की कोशिश की जा रही है। यहां पर मुस्लिम सदियों से रह रहे हैं और आपस में भाईचारा बना कर रह रहे हैं। अगर सड़क पर मुहर्रम बंद होगा, तो कावड़ यात्रा भी बंद होनी चाहिए।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   14 July 2024 7:18 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story