स्वास्थ्य/चिकित्सा: नेत्रदान के प्रति लोगों के मन में है भ्रम, इसे करें दूर

नेत्रदान के प्रति लोगों के मन में है भ्रम, इसे करें दूर
वर्तमान में लाखों लोग नेत्रदान का इंतजार कर रहे हैं, ताक‍ि वे इस खूबसूरत दुनिया को देख सकें। बता दें कि दुनिया में लाखों लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं। नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट (एनपीसीबीवीआई) के अनुसार भारत में लगभग 10 लाख लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं।

नई दिल्ली, 26 अगस्त (आईएएनएस)। वर्तमान में लाखों लोग नेत्रदान का इंतजार कर रहे हैं, ताक‍ि वे इस खूबसूरत दुनिया को देख सकें। बता दें कि दुनिया में लाखों लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं। नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट (एनपीसीबीवीआई) के अनुसार भारत में लगभग 10 लाख लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं।

14वें नेशनल कॉर्निया एंड आई बैंकिंग कॉन्फ्रेंस के आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक कॉर्नियल प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन इनमें से केवल 25 हजार लोगों का ही प्रत्यारोपण हो पाता है। इसका कारण नेत्रदान के प्रत‍ि लोगों में जागरूकता की कमी है।

25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। इस दौरान लोगों को नेत्रदान के प्रत‍ि जागरूक किया जाता है। लोगों के मन में नेत्रदान को लेकर कई तरह के भ्रम हैं। इसके कारण लोग नेत्रदान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।

लोगों के मन में आ रहे प्रश्‍नों के जवाब देने के लिए आईएएनएस ने बिहार विधान परिषद के मनोनीत सदस्य, प्रोफेसर एमेरिटस आरआईओ इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना एवं दक्षिण एशियाई नेत्र विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष, इंडियन रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी सोसायटी के अध्यक्ष के साथ ही विश्व आरओपी परिषद भारत के अध्यक्ष राजवर्धन झा आजाद से बात की।

लोगों में नेत्रदान के प्रत‍ि फैले भ्रम को लेकर उन्होंने बताया, ''लोगों में भ्रम है कि नेत्रदान करने वाले की पूरी आंखे निकाल ली जाती है, लेक‍िन ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसमें केवल दान करने वाले की आंखों का पारदर्शी अग्र भाग कॉर्निया ही निकाला जाता है, और इस जरूरतमंद की आंख में प्रत्‍यारोप‍ित कर दिया जाता है। अभी तक कोई ऐसी तकनीक है ही नहीं है, जिससे किसी की पूरी आंख निकाल कर लगाई जा सके।''

मौत के कितनी देर बाद तक आंखें (कॉर्निया) सही रहती हैं, इस पर राजवर्धन झा ने कहा, ''मौत के लगभग चार घंटों तक आंखें (कॉर्निया) सुरक्षित रहती हैं। लेक‍िन गर्मी के मौसम में यह केवल दो घंटे तक ही सुरक्षि‍त रहती हैं।''

उन्‍होंने कहा, ''वर्तमान में आंखों के इस भाग को लैब में सुरक्षित रखने की भी प्रकिया मौजूद है। इसे कम और लंबी अवधि के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। कई आई बैंक आंखाें को सुरक्षित रखने का काम रहे हैं।

उन्‍होंने कहा कि हम इस ओर बेहतर काम रहे हैं, मगर हमें इस दिशा में और काम करने की जरूरत है। देश में आज भी लाखों लोगों को कॉर्निया की जरूरत है, इसके लिए मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे नेत्रदान के लिए आगे आएं।

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Created On :   26 Aug 2024 9:37 PM IST

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