स्वास्थ्य/चिकित्सा: उत्तर प्रदेश मंकी पॉक्स को लेकर सभी जिलों के एंट्री प्वाइंट्स पर स्क्रीनिंग का आदेश

उत्तर प्रदेश  मंकी पॉक्स को लेकर सभी जिलों के एंट्री प्वाइंट्स पर स्क्रीनिंग का आदेश
मंकी पॉक्स को लेकर देश भर में एडवाइजरी जारी की गई है। उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड में आ गया है। स्थानीय स्तर पर हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। उपमुख्यमंत्री ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं और प्रदेश के सभी जनपदों के एंट्री प्वाइंट्स पर मरीजों की स्क्रीनिंग का आदेश दिया है।

लखनऊ, 28 अगस्त (आईएएनएस)। मंकी पॉक्स को लेकर देश भर में एडवाइजरी जारी की गई है। उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड में आ गया है। स्थानीय स्तर पर हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। उपमुख्यमंत्री ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं और प्रदेश के सभी जनपदों के एंट्री प्वाइंट्स पर मरीजों की स्क्रीनिंग का आदेश दिया है।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकी पॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित की है। संदिग्ध रोगियों की पहचान, सैंपल कलेक्शन तथा उपचार के निर्देश दिए गए हैं। सैंपल राज्य संदर्भन प्रयोगशाला (डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी, केजीएमयू) को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस संंबंध में राज्य स्तरीय हेल्पलाइन नंबर (18001805145) जारी किया गया है। प्रदेश के सभी जनपदों में प्वाइंट ऑफ एंट्री पर भी मरीजों को लेकर सर्विलांस प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

मंकी पॉक्स बीमारी इन दिनों अफ्रीका में तेजी से फैल रही है। अफ्रीका से बाहर भी इसके कुछ मामले आये हैं। शरीर पर दाने, तेज बुखार, अधिक कमजोरी, लकिसा ग्रंथियों में सूजन मंकीपॉक्स के प्रारंभिक लक्षण हैं। यह अपने-आप ठीक होने वाली बीमारी है जिसके लक्षण दो-चार सप्ताह तक बने रह सकते हैं। समय पर उचित देखभाल एवं इलाज जरूरी है। मंकीपॉक्स से ग्रसित रोगी के संपर्क में आने से भी यह रोग हो सकता है। हालांकि देश में मंकीपॉक्स का आखिरी मामला मार्च 2024 में केरल में मिला था। उस मरीज का विदेश जाने का इतिहास था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 अगस्त को इस बीमारी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित किया था। दुनिया भर में इस साल मंकीपॉक्स के 16 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं और 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जब तक फफोले पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते और फफोलों वाली त्वचा की जगह नई त्वचा नहीं आ जाती तब तक व्यक्ति को संक्रमण मुक्त नहीं माना जा सकता। ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

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Created On :   28 Aug 2024 7:30 PM IST

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