शिक्षा: बिहार सरकार ईंट भट्ठा में काम करने वाले बच्चों का स्कूलों में कराएगी दाखिला

बिहार सरकार ईंट भट्ठा में काम करने वाले बच्चों का स्कूलों में कराएगी दाखिला
बिहार सरकार ने शिक्षा को लेकर सजगता बढ़ा दी है। सरकार अब ईंट भट्ठा एवं अन्य औद्योगिक या निर्माण स्थलों पर कार्य करने वाले कामगारों तथा श्रमिकों के बच्चों को निकटतम विद्यालयों में दाखिल करवाएगी। इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं।

पटना, 3 फरवरी (आईएएनएस)। बिहार सरकार ने शिक्षा को लेकर सजगता बढ़ा दी है। सरकार अब ईंट भट्ठा एवं अन्य औद्योगिक या निर्माण स्थलों पर कार्य करने वाले कामगारों तथा श्रमिकों के बच्चों को निकटतम विद्यालयों में दाखिल करवाएगी। इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं।

पत्र में कहा गया है कि निरीक्षण के क्रम में पाया गया है कि कतिपय बच्चे, जिनके माता-पिता ईंट-भट्ठा, बालूघाट, सड़क निर्माण, अन्य सरकारी या गैर सरकारी बड़ी परियोजनाओं में काम करने के लिए अपने गांव छोड़कर कार्यस्थल पर निवास करते हैं, उन्हें माता-पिता के साथ रहने की बाध्यता के कारण अपनी पढ़ाई से वंचित होना पड़ता है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 3 (1) में स्पष्ट प्रावधान है कि "06-14 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी आसपास के विद्यालय में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होगा।"

इस प्रकार इस आयु वर्ग के सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन कराकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना अनिवार्य है। पत्र के अंत में कहा गया है कि ईंट भट्ठा अथवा अन्य निर्माण स्थलों पर कार्यरत श्रमिकों के 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों की पहचान की जाए एवं यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे अनामांकित न रहें।

साथ ही ईंट-भट्ठा मालिक एवं अन्य नियोजकों को यह हिदायत दी जाए कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके यहां कार्य करने वाले कामगारों या श्रमिकों के बच्चों का नामांकन निकटतम सरकारी अथवा निजी विद्यालय में हो एवं वे नियमित रूप से विद्यालय जाएं। ऐसे बच्चों का नामांकन अकादमिक सत्र के बीच में कभी भी हो सकेगा। उन्होंने इसके लिए जिलाधिकारियों को अभियान चलाने का निर्देश दिया है।

अपर मुख्य सचिव नवादा और नालंदा जिलों के दौरे के क्रम में ईंट-भट्ठा पहुंचे थे और वहां मजदूरी करने वाले बच्चों को नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया था। उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में समझाया था।

उन्होंने स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिया था कि इन बच्चों का स्कूलों में नामांकन कराकर उनकी शिक्षा सुनिश्चित की जाए।

--आईएएनएस

एमएनपी/एबीएम

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Created On :   3 Feb 2025 7:47 PM IST

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