राजनीति: मथुरा ठाकुरजी की पोशाक ह‍िंदू कारीगरों से तैयार कराने की उठी मांग

मथुरा  ठाकुरजी की पोशाक ह‍िंदू कारीगरों से तैयार कराने की उठी मांग
श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुकदमा लड़ रहे दिनेश फलाहारी ने मंगलवार को एक ऐसी मांग की है, जिससे मुस्लिम कारीगरों के सामने रोजगार चलाना मुश्किल हो सकता है। दरअसल, मथुरा के मंदिरों में ठाकुर जी को पहनाई जाने वाली पोशाक को हिन्दू कारीगर से बनाने की मांग की गई है। बताया जा रहा है कि दिनेश फलाहरी ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा गया है कि ठाकुर जी को जो पोशाक हिन्दू कारीगरों के द्वारा बनाकर ही धारण कराई जाए।

मथुरा, 11 मार्च (आईएएनएस)। श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुकदमा लड़ रहे दिनेश फलाहारी ने मंगलवार को एक ऐसी मांग की है, जिससे मुस्लिम कारीगरों के सामने रोजगार चलाना मुश्किल हो सकता है। दरअसल, मथुरा के मंदिरों में ठाकुर जी को पहनाई जाने वाली पोशाक को हिन्दू कारीगर से बनाने की मांग की गई है। बताया जा रहा है कि दिनेश फलाहरी ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा गया है कि ठाकुर जी को जो पोशाक हिन्दू कारीगरों के द्वारा बनाकर ही धारण कराई जाए।

न्यूज एजेंसी ने मुस्लिम कारीगरों और दुकानदारों से बात की। एक मुस्लिम कारीगर ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास कई दुकानों पर श्रृंगार पोशाक का सामान मिलता है। मुस्लिम कारीगर श्री कृष्णा के पोशाक बनाने का काम करते हैं। ये पोशाक सिल्‍क, जरी और रेशम के धागों से बुनी हुई होती है। विदेशों में कृष्ण भक्त यहां से पोशाक की मांग करते हैं। भारी मात्रा में यहां से पोशाक विदेश भेजा जाते हैं।

दूसरी ओर एक मुस्लिम कारीगर ने बताया कि जब तक काम चल रहा है तब तक कर रहे हैं आगे फिर जो भी होगा, तो दूसरा काम देखेंगे। दिल तो दुखता ही है, अगर उनकी बातों पर लोगों ने पोशाक लेना बंद कर दिया, तो हम तो भूखों मर जाएंगे। इस तरह की बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। 10 से 12 घंटे काम करते हैं तब जाकर 400 से 500 रुपये की मजदूरी बन पाती है। यह काम करते हुए 40 साल हो गए।

बता दें कि हजारों मुस्लिम परिवार वृंदावन में ठाकुर जी की पोशाक और जड़ावटी श्रृंगार का काम करते हैं। इस काम से ही वह वर्षों से अपने परिवार का पालन-पोषण कर हे हैं। मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाई गई पोशाक बांके बिहारी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि, द्वारिकाधीश मंदिर जैसे प्रमुख मंदिरों में पहनाई जाती है। मुस्लिम समाज द्वारा तैयार की जाने वाली पोशाकों की बिक्री देश व विदेश में भारी मात्रा में होती है।

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Created On :   11 March 2025 11:30 PM IST

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