राष्ट्रीय: उत्तर प्रदेश मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा, अमरोहा में क्रिकेटर शमी के बहन-जीजा भी मजदूरों की लिस्ट में

उत्तर प्रदेश  मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा, अमरोहा में क्रिकेटर शमी के बहन-जीजा भी मजदूरों की लिस्ट में
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के पलौला गांव में मनरेगा योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां करोड़पति ग्राम प्रधान गुले आइशा ने अपने परिवार, रिश्तेदारों और चहेतों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनवाए। इनमें भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना और उनके पति गजनबी के नाम भी शामिल हैं।

अमरोहा, 26 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के पलौला गांव में मनरेगा योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां करोड़पति ग्राम प्रधान गुले आइशा ने अपने परिवार, रिश्तेदारों और चहेतों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनवाए। इनमें भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना और उनके पति गजनबी के नाम भी शामिल हैं।

इसके अलावा, वकील, एमबीबीएस छात्र, इंजीनियर और ठेकेदार जैसे लोग भी मनरेगा मजदूरों की लिस्ट में हैं, जिनके खातों में सरकारी पैसा भेजा जा रहा है। पलौला गांव जोया ब्लॉक में आता है। यहां मनरेगा के 657 जॉब कार्ड हैं, जिनमें से 150 एक्टिव हैं। लिस्ट में 473वें नंबर पर शबीना का नाम है।

रिकॉर्ड के मुताबिक, शबीना ने 2021 से 2024 तक 374 दिन मजदूरी की और उनके खाते में 70 हजार रुपये आए। शबीना ग्राम प्रधान की बहू हैं और अपने पति गजनबी के साथ जोया कस्बे में 20 लाख रुपये के फ्लैट में रहती हैं। उनके भाई शमी की संपत्ति 65 करोड़ रुपये बताई जाती है और उनके पास बीएमडब्ल्यू, ऑडी जैसी महंगी गाड़ियां हैं। वहीं, गजनबी के नाम भी जॉब कार्ड है, जिसके तहत उन्हें 66 हजार रुपये मिले।

लिस्ट में प्रधान की बेटी नेहा का नाम भी है, जो शादी के बाद जोया में रहती है। इसके अलावा, प्रधान के पति शकील का भाई शहजर, जो अमरोहा में एग्रीकल्चर शॉप चलाता है, और ठेकेदार जुल्फिकार भी मजदूर बने हैं। जुल्फिकार का बेटा अजीम फैक्ट्री में इंजीनियर है, लेकिन वह भी मनरेगा लिस्ट में है।

गांव वालों का कहना है कि प्रधान ने अपने बेटे, जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है, सहित पूरे परिवार के कार्ड बनवाए और फर्जी तरीके से पैसा निकाला।

गांव के इमरान ने बताया कि सैकड़ों खातों में सरकारी पैसा भेजकर दुरुपयोग किया जा रहा है। मनरेगा में मजदूरी के लिए ग्राम पंचायत आवेदन की जांच करती है और जॉब कार्ड जारी करती है। काम की निगरानी भी पंचायत की जिम्मेदारी है। फिर ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर की मंजूरी से पैसा खाते में जाता है। लेकिन, यहां सत्यापन में बड़ी लापरवाही हुई। इस घोटाले ने योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। अभी तक प्रशासन ने कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है, लेकिन जांच की मांग तेज हो रही है।

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Created On :   26 March 2025 6:25 PM IST

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