राजनीति: सिर्फ किताब खरीद लेने से आप विद्वान नहीं बन जाएंगे प्रशांत किशोर

सिर्फ किताब खरीद लेने से आप विद्वान नहीं बन जाएंगे  प्रशांत किशोर
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को केंद्र सरकार के जनगणना के साथ जातीय गणना कराने का समर्थन करते हुए बिहार में कराई गई जातीय गणना पर सवाल उठाए।

भागलपुर, 1 मई (आईएएनएस)। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को केंद्र सरकार के जनगणना के साथ जातीय गणना कराने का समर्थन करते हुए बिहार में कराई गई जातीय गणना पर सवाल उठाए।

बिहार में हुई जातीय गणना को उन्होंने अधूरा और अपारदर्शी बताया। उन्होंने जनगणना में जातीय जनगणना को शामिल करने के केंद्र सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जन सुराज लंबे समय से कहता आ रहा है कि समाज के बारे में बेहतर जानकारी देने वाले किसी भी सर्वेक्षण, जनगणना में कोई समस्या नहीं है। लेकिन, जन सुराज का साफ कहना है कि सिर्फ जनगणना करने से समाज की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना जरूरी है। इससे समाज को नुकसान नहीं बल्कि फायदा होगा। लेकिन, जिस तरीके से बिहार सरकार ने यह जनगणना कराई है, वह सही नहीं है। उन्होंने बिहार में हुई जातीय जनगणना का उदाहरण देते हुए कहा कि रिपोर्ट से पता चला है कि बिहार में दलित समुदाय के मात्र तीन प्रतिशत बच्चे ही 12वीं पास कर पाए हैं। लेकिन, जनगणना रिपोर्ट सार्वजनिक होने के दो साल बाद भी सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति या पिछड़े वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए कोई नई और ठोस योजना लागू नहीं की है। सिर्फ किताब खरीद लेने से आप विद्वान नहीं बन जाएंगे, आपको किताब को पढ़ना और समझना होगा।

प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह किसी सेवा में जाने से पहले मेडिकल जांच होती है, उसी तरह राज्य के मुखिया का भी स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए। 13 करोड़ जनता की जिम्मेदारी एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में है, जिनका स्वास्थ्य खुद ठीक नहीं है।

उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की समाजवाद की समझ पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 दिन कोचिंग लेने और अपने सलाहकारों से सलाह लेने के बाद भी तेजस्वी यादव बिना देखे समाजवाद पर पांच लाइन भी नहीं बोल पाएंगे। इस देश में समाजवाद जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, जॉर्ज फर्नांडिस का है। तेजस्वी यादव को तो समाजवाद की परिभाषा भी नहीं मालूम है।

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Created On :   1 May 2025 3:06 PM IST

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