राजनीति: बिहार के सहरसा के लाल का कमाल, बेकरी के कारोबार ने बनाया खुशहाल

बिहार के सहरसा के लाल का कमाल, बेकरी के कारोबार ने बनाया खुशहाल
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में बेरोजगार युवक-युवतियों की किस्मत तमाम सरकारी योजनाओं के माध्यम से बदल रही है। सूबे के सहरसा जिले के अर्राहा गांव में 22 वर्षीय दिलखुश कुमार भी एक लाभार्थी हैं, जो 'मुख्यमंत्री उद्यमी योजना' की मदद से आज स्वरोजगार कर रहे हैं और लाखों रुपए कमा रहे हैं।

सहरसा, 7 मई (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में बेरोजगार युवक-युवतियों की किस्मत तमाम सरकारी योजनाओं के माध्यम से बदल रही है। सूबे के सहरसा जिले के अर्राहा गांव में 22 वर्षीय दिलखुश कुमार भी एक लाभार्थी हैं, जो 'मुख्यमंत्री उद्यमी योजना' की मदद से आज स्वरोजगार कर रहे हैं और लाखों रुपए कमा रहे हैं।

सहरसा जिले के सौर बाजार प्रखंड के सुहथ गौरा वार्ड 15 निवासी किसान फुलेन्द्र साह के बेटे दिलखुश की आर्थिक स्थिति पहले अच्छी नहीं थी। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने गांव में बड़ा व्यवसाय करने की सोची और इस दौरान उन्हें बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी 'मुख्यमंत्री उद्यमी योजना' के बारे में पता चला।

इस योजना के तहत उन्हें 10 लाख रुपए का लोन मिला। एक समय नौकरी के लिए भटकने वाले दिलखुश आज सफल उद्यमी बनकर स्वरोजगार कर रहे हैं। इसके साथ ही दो बेरोजगार युवाओं को रोजगार देकर उनकी पारिवारिक स्थिति भी बदल दी है।

दिलखुश ने बताया, "योजना से मिली राशि से अपने गांव में बेकरी शुरू की। पटना और अन्य जिलों से आधुनिक मशीनें मंगवाईं। एक बड़े कमरे में बेकरी शुरू करने के बाद इसमें सफलता मिल रही है। हम मशीनों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के बिस्किट बनाकर बाजार में सप्लाई कर रहे हैं।"

उन्होंने बताया, "सरकारी योजनाएं युवाओं के लिए बड़ा अवसर हैं। बस सही जानकारी और हिम्मत की जरूरत है। गांव का यह पहला बेकरी उद्योग है। इससे स्थानीय लोगों को ताजे उत्पाद मिल रहे हैं। दो युवकों को रोजगार भी दे रहा हूं।"

सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, "हमें योजना का बहुत फायदा मिला है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बहुत बड़ा हाथ है। मैं उन्हें धन्यवाद करना चाहता हूं। बिहार में बेरोजगार युवाओं के लिए यह योजना बहुत ही लाभकारी साबित हो रही है।"

बेकरी में काम करने वाले बमबम और सुरेश ने बताया, "पढ़ाई के बाद गांव में ही रोजगार मिलने से आर्थिक स्थिति अच्छी हुई है।"

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Created On :   7 May 2025 8:25 PM IST

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