स्वास्थ्य/चिकित्सा: सनफ्लावर सीड ऑयल से होता है लिवर को सबसे ज्यादा नुकसान

सनफ्लावर सीड ऑयल से होता है लिवर को सबसे ज्यादा नुकसान
सूरजमुखी के बीज का तेल (सनफ्लावर सीड ऑयल) हमारे रोजमर्रा के खाने का हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका ज्यादा और असंतुलित सेवन लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है? सूरजमुखी के बीज के तेल (सनफ्लावर सीड ऑयल) में ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो लिवर के लिए नुकसानदायक होती है।

नई दिल्ली, 11 मई (आईएएनएस)। सूरजमुखी के बीज का तेल (सनफ्लावर सीड ऑयल) हमारे रोजमर्रा के खाने का हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका ज्यादा और असंतुलित सेवन लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है? सूरजमुखी के बीज के तेल (सनफ्लावर सीड ऑयल) में ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो लिवर के लिए नुकसानदायक होती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अगस्त 2012 अंक में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सूरजमुखी तेल जैसे तेलों में पाए जाने वाले पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (ओमेगा-6) का ज्यादा सेवन खून में लिपिड (कोलेस्ट्रॉल और फैट) के स्तर को बेहतर करने में मदद करता है, लेकिन यह सूजन (इन्फ्लेमेशन) और इंसुलिन प्रतिरोध (जब शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता) को कम करने में कितना प्रभावी है, यह अभी पूरी तरह साफ नहीं है।

दरअसल, सनफ्लावर सीड ऑयल सूरजमुखी के बीजों से निकाला गया तेल है, जो खाना पकाने, फ्राइंग और प्रोसेस्ड फूड में इस्तेमाल होता है। इसमें ओमेगा-6 फैटी एसिड (विशेष रूप से लिनोलेइक एसिड) की मात्रा अधिक होती है। ओमेगा-6 फैटी एसिड एक पॉलीअनसैचुरेटेड फैट है, जो शरीर के लिए जरूरी है। लेकिन इन्हें संतुलित मात्रा में लेना महत्वपूर्ण है। ये सनफ्लावर, सोयाबीन, कॉर्न ऑयल और प्रोसेस्ड फूड्स में पाए जाते हैं।

आधुनिक आहार में ओमेगा-6 की मात्रा बहुत ज्यादा और ओमेगा-3 की मात्रा बहुत कम होती है। यह असंतुलन सूजन (इन्फ्लेमेशन) को बढ़ाता है, जो लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है।

इतना ही नहीं, ज्यादा ओमेगा-6 फैटी एसिड का सेवन लिवर में फैट जमा होने का कारण बन सकता है, जिससे नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज हो सकता है। यह लिवर की सूजन और सिरोसिस जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।

इसके अलावा, सनफ्लावर ऑयल जैसे तेलों में मौजूद ओमेगा-6 फैटी एसिड ज्यादा गर्म करने पर ऑक्सीडाइज हो सकते हैं, जिससे फ्री रेडिकल्स बनते हैं। ये लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।

साथ ही ओमेगा-6 फैटी एसिड से बने प्रो-इन्फ्लेमेटरी कंपाउंड्स (जैसे प्रोस्टाग्लैंडिन्स) शरीर में क्रॉनिक सूजन को बढ़ाते हैं, जो लिवर को कमजोर करता है।

लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा इसका संकेत शरीर दे देता है। जैसे- थकान, पेट में भारीपन, पीलिया (स्किन या आंखों का पीला पड़ना) या फिर पाचन संबंधी समस्याएं शामिल हैं।

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Created On :   11 May 2025 8:19 PM IST

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