अंतरराष्ट्रीय: बांग्लादेश के प्रख्यात लेखक ने की मोहम्मद यूनुस की आलोचना

बांग्लादेश के प्रसिद्ध दार्शनिक और कार्यकर्ता फरहाद मजहर ने देश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की जमकर आलोचना की है। फरहाद मजहर ने कहा, "यूनुस ने विद्रोह के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक ताकतों को अपनी शर्तें तय करने की अनुमति दी है और शेख हसीना सरकार के जाने के बाद भ्रष्ट ताकतों को मजबूत करने का काम किया है।"

ढाका, 12 मई (आईएएनएस)। बांग्लादेश के प्रसिद्ध दार्शनिक और कार्यकर्ता फरहाद मजहर ने देश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की जमकर आलोचना की है। फरहाद मजहर ने कहा, "यूनुस ने विद्रोह के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक ताकतों को अपनी शर्तें तय करने की अनुमति दी है और शेख हसीना सरकार के जाने के बाद भ्रष्ट ताकतों को मजबूत करने का काम किया है।"

बांग्लादेश के मीडिया आउटलेट बीडी न्यूज 24 से बात करते हुए मजहर ने कहा, "वह (मुहम्मद यूनुस) चुनावों के बारे में शिकायतें सुनने गए थे। लेकिन उनसे ऐसा करने के लिए किसने कहा था? लोगों ने नहीं कहा था। उन्हें सीधे लोगों से बात करनी चाहिए थी। इसकी बजाय उन्होंने चुनाव पर अनावश्यक बहस शुरू कर दी - जिसका जन विद्रोह से कोई लेना-देना नहीं था।"

फरहाद मजहर ने जातीय नागरिक कमेटी के एक कार्यक्रम में कहा, "जन विद्रोह के पीछे कोई राजनीतिक दल नहीं था। इसमें जिन लोगों ने भाग लिया था, वे जमीन से उठे हुए थे। पार्टियों को अलग वैधता देकर यूनुस ने लोगों की राजनीतिक एजेंसी को नुकसान पहुंचाया है और कई भ्रष्ट गुटों को मजबूत बनाया है। यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है।"

उन्होंने कहा कि राजनीतिक अनुभवहीनता के कारण ऐसा हुआ है। कोई कारण नहीं था कि वह राजनीतिक दलों के सामने घुटने टेकते। आखिरकार, लोगों ने उन्हें सत्ता में बिठाया था, किसी राजनीतिक दल ने नहीं।

मजहर ने कहा, "यूनुस का विफल होना तय है। जन आंदोलन से निकली सरकार की किस्मत में विफलता लिखी है।"

फरहाद मजहर ने अंतरिम सरकार के सांप्रदायिक तनाव से निपटने के तरीके की आलोचना करते हुए पूर्व में प्रमुख हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई की मांग भी की थी।

उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था, "हिंदुओं समेत बांग्लादेश के सभी लोगों के नागरिक और मानवाधिकारों की रक्षा करें, चाहे वे किसी भी धर्म या मत से संबंध रखते हों। आत्मघाती राजनीति बंद होनी चाहिए।"

उन्होंने लिखा था कि सरकार को यह समझना चाहिए कि सनातन धर्म को मानने वाले भी बांग्लादेश के नागरिक हैं। हर धर्म और मत के लोगों के नागरिक और मानव अधिकारों की रक्षा हमारा प्राथमिक और सर्वप्रथम लक्ष्य है।

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Created On :   12 May 2025 2:01 PM

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