राजनीति: पार्षदों के इस्तीफे के पीछे भाजपा की साजिश आम आदमी पार्टी

नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी (आप) ने पार्षदों के हालिया इस्तीफों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसका कहना है कि दिल्ली में पिछले दिनों हुए मेयर चुनाव के समय से ही भाजपा उसके पार्षदों को खरीदने की कोशिश कर रही है।
'आप' ने दावा किया कि हर पार्षद को भाजपा की ओर से पांच-पांच करोड़ रुपए की पेशकश की गई थी। 'आप' ने कहा, "भाजपा के पास स्थायी समिति या वार्ड समितियों का गठन करने के लिए बहुमत नहीं है। ऐसे में वह जनादेश का अपमान करते हुए लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। जब भाजपा को यह समझ में आ गया कि वह लोकतांत्रिक तरीके से बहुमत हासिल नहीं कर सकती, तब उसने धनबल के जरिए खरीद-फरोख्त की रणनीति अपनाई।"
आम आदमी पार्टी का कहना है कि मेयर चुनाव के दौरान ही भाजपा की यह मंशा उजागर हो गई थी। 'आप' ने उस समय भी भाजपा की 'हॉर्स ट्रेडिंग' की कोशिशों को बेनकाब किया था। पार्टी के अनुसार, "अब भाजपा 'ड्रामा' कर रही है और यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि इस्तीफे किसी और दल से जुड़े हैं, जबकि असलियत में पूरी साजिश भाजपा की ही है।"
'आप' ने जोर देकर कहा, "इन इस्तीफों के पीछे की सच्चाई जल्द ही जनता के सामने आ जाएगी। भाजपा के इशारे पर ही यह पूरा खेल खेला जा रहा है, ताकि दिल्ली नगर निगम में उसकी पकड़ मजबूत हो सके। लेकिन, आम आदमी पार्टी भाजपा के इन प्रयासों को सफल नहीं होने देगी।"
'आप' ने यह भी संकेत दिया कि वह इस मामले को लेकर जनता के बीच जाएगी और हर स्तर पर भाजपा की 'लोकतंत्र विरोधी राजनीति' का विरोध करेगी।
बता दें कि आम आदमी पार्टी (आप) को नगर निगम में बड़ा झटका लगा है। 15 निगम पार्षदों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देते हुए पार्टी से नाता तोड़ लिया है। इन सभी पार्षदों ने एक नया राजनीतिक मंच बनाने का ऐलान किया है, जिसका नाम 'इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी' रखा गया है। इस्तीफा देने वालों में शामिल पार्षद मुकेश गोयल ने मीडिया से बातचीत करते हुए पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए।
मुकेश गोयल ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "हम आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए थे और उस समय हमें 250 में से 135 सीटें मिली थीं, लेकिन आज हमारी संख्या धीरे-धीरे घटकर 90 के आसपास पहुंच गई है। आखिर इसकी वजह क्या है?"
गोयल ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने के बाद निगम पार्षदों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया। हमने ढाई साल सत्ता में रहकर कोई काम नहीं किया। हमें कोई बजट नहीं मिला, संसाधन नहीं मिले। निगम पार्षदों को कोई फंड नहीं दिया गया। हमारे पार्षद हर तरफ से परेशान हैं। जब हम अपने क्षेत्र में जाते हैं, तो जनता सवाल करती है और हमारे पास जवाब नहीं होता।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी नेतृत्व अनुभवहीन है और वरिष्ठ पार्षदों की कोई सुनवाई नहीं होती। साल में एक-दो बार बैठक होती है और उसमें भी पार्षदों को धमकाया जाता है कि जिसे जहां जाना है, चला जाए।
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Created On :   17 May 2025 7:29 PM IST