स्वास्थ्य/चिकित्सा: सरकारी योजनाओं के दम पर तेजी से बढ़ रहा देश का फार्मा सेक्टर

सरकारी योजनाओं के दम पर तेजी से बढ़ रहा देश का फार्मा सेक्टर
देश का फार्मा सेक्टर बीते 10 साल में किफायती, इनोवेटिव और इन्क्लूसिव होने के साथ वैश्विक स्तर पर अपनी एक नई और मजबूत पहचान बना चुका है। इसमें जनऔषधि योजना और पीएलआई की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रही है। यह वृद्धि चालू वित्त वर्ष में भी जारी रहने की उम्मीद है। फिच ग्रुप के इंडिया रेटिंग्स के विशेषज्ञों का अनुमान है कि मजबूत मांग और नए उत्पादों के कारण अप्रैल 2025 में इस सेक्टर के राजस्व में सालाना आधार पर 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जाएगी।

नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। देश का फार्मा सेक्टर बीते 10 साल में किफायती, इनोवेटिव और इन्क्लूसिव होने के साथ वैश्विक स्तर पर अपनी एक नई और मजबूत पहचान बना चुका है। इसमें जनऔषधि योजना और पीएलआई की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रही है। यह वृद्धि चालू वित्त वर्ष में भी जारी रहने की उम्मीद है। फिच ग्रुप के इंडिया रेटिंग्स के विशेषज्ञों का अनुमान है कि मजबूत मांग और नए उत्पादों के कारण अप्रैल 2025 में इस सेक्टर के राजस्व में सालाना आधार पर 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जाएगी।

केंद्र सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने रविवार को जारी एक बैकग्राउंडर में इंडिया रेटिंग्स की हाल में जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि देश का दवा उद्योग वैश्विक स्तर पर मात्रा के मामले में तीसरे स्थान पर और मूल्य के मामले में 14वें स्थान पर है।

देश जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। वैश्विक आपूर्ति में इसकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है। साथ ही, भारत किफायती टीकों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।

इस क्षेत्र का कारोबार पिछले पांच वर्षों से 10 प्रतिशत से अधिक वार्षिक दर से लगातार बढ़ते हुए वित्त वर्ष 2023-24 में 4,17,345 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।

सरकार की स्मार्ट योजनाएं इस सफलता का आधार बनी हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत 15,479 जन औषधि केंद्रों का संचालन हो रहा है। इन केंद्रों पर ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 80 प्रतिशत कम कीमत पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हैं।

फार्मास्युटिकल्स के लिए 15,000 करोड़ रुपए की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत देश में ही कैंसर और मधुमेह समेत अन्य लाइफस्टाइल दवाओं के उत्पादन के लिए 55 परियोजनाओं को सरकार मदद दे रही है। इसके अलावा, 6,940 करोड़ रुपए की एक और पीएलआई योजना पेनिसिलिन जी जैसे कच्चे माल पर केंद्रित करती है, जिससे आयात की हमारी जरूरत कम होती है।

चिकित्सा उपकरणों के लिए 3,420 करोड़ रुपए की सहायता वाली पीएलआई से एमआरआई मशीनों और हार्ट ट्रांसप्लांट जैसे उपकरणों के उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है।

गुजरात, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश में मेगा हब बनाने के लिए 3,000 करोड़ रुपए की लागत से बल्क ड्रग पार्क्स को बढ़ावा देने की योजना है, ताकि दवाओं का उत्पादन सस्ता और शीघ्र हो। फार्मास्युटिकल्स उद्योग को मजबूत करने (एसपीआई) के लिए 500 करोड़ रुपए की लागत की योजना है।

इसके अलावा, भारत का फार्मा सेक्टर यूनिसेफ के 55-60 प्रतिशत टीके की सप्लाई करता है। यह डब्ल्यूएचओ के डीपीटी (डिप्थीरिया, काली खांसी और टेटनस) वैक्सीन की 99 प्रतिशत मांग, बीसीजी की 52 प्रतिशत और खसरे की 45 प्रतिशत मांग को पूरा करता है।

बैसिलस कैलमेट-गुएरिन एक वैक्सीन है, जो मुख्य रूप से टीबी के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाती है। विदेशी निवेशकों की बात करें तो अकेले 2023-24 में उन्होंने 12,822 करोड़ रुपए का निवेश किया, जो देश की बढ़ती क्षमता को दिखाता है।

सरकार चिकित्सा उपकरणों और ग्रीनफील्ड फार्मा परियोजनाओं में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश का स्वागत करती है, जिससे भारत वैश्विक कंपनियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन गया है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   18 May 2025 8:08 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story