राष्ट्रीय: मयूरासन से उष्ट्रासन तक, अधिकतर योगासनों के नाम पशु-पक्षियों पर क्यों हैं?
नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। योग प्राचीनकाल से शरीर और मन को संतुलित रखने के अभ्यास के तौर पर भारतीय समाज का हिस्सा रहा है। खासकर योग के अंतर्गत आने वाले कई आसन बेहद लोकप्रिय हैं। इनमें से अधिकतर आसन के नाम पशु-पक्षियों से प्रेरित हैं- जैसे मयूरासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, कपोतासन जैसे आसन न केवल प्रकृति से जुड़ाव दिखाते हैं, बल्कि इनके पीछे गहरा दर्शन भी छिपा है।
योगासनों के नाम पशु-पक्षियों पर रखने के पीछे एक बड़ी वजह प्रकृति से सीखने से संबंधित है। कोबरा की शक्ति, मोर का संतुलन और ऊंट का लचीलापन हमें जीवन में संतुलन और शक्ति का पाठ पढ़ाते हैं। ये आसन न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं।
योग विशेषज्ञों के अनुसार, इन आसनों के नाम पशु-पक्षियों की गतिविधियों, शक्ति और लचीलापन से प्रेरित हैं, जो हमें स्वस्थ जीवनशैली सिखाते हैं।
भुजंगासन, जिसे कोबरा मुद्रा भी कहते हैं। यह आसन पीठ दर्द को कम करता है, फेफड़ों की कई समस्याओं को खत्म कर पाचन को बेहतर बनाता है और तनाव से भी राहत देता है।
उष्ट्रासन, यह ऊंट की तरह रीढ़ को लचीला बनाने वाला आसन है, जो शरीर को कई तरह की समस्याओं से राहत देता है। यह रीढ़ की हड्डियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। यह आसन कई तरह से तन और मन को लाभ पहुंचाता है। रीढ़ को पीछे की ओर झुकाने से उसका लचीलापन बढ़ता है, जिससे पीठ दर्द में राहत मिलती है। पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव होने से पाचन तंत्र बेहतर होता है और कब्ज जैसी समस्याएं कम होती हैं। यह आसन हृदय चक्र को खोलता है, जिससे तनाव और चिंता में कमी आती है। छाती का विस्तार होने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और श्वसन प्रणाली मजबूत होती है। कूल्हे, जांघ और पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे शरीर की ताकत बढ़ती है। साथ ही, यह रक्त संचार को बेहतर करता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
कपोतासन या कबूतर मुद्रा से प्रेरित यह आसन कूल्हों, जांघों और पीठ से संबंधित कई समस्याओं में राहत दे सकता है।
मयूरासन, मोर की तरह संतुलन विकसित करने वाले इस आसन से शरीर को संतुलित किया जाता है। इस आसन का नाम मयूर (मोर) से आया है, क्योंकि आसन में अपनाए जाने वाली मुद्रा मोर की तरह दिखती है। मयूरासन में शरीर को जमीन से ऊपर उठाया जाता है, जिसमें कोहनियां पेट के पास होती हैं और पैर पीछे की ओर सीधे रहते हैं। यह आसन शारीरिक और मानसिक ताकत को बढ़ाने में मदद करता है।
बकासन, कलाइयों, बांहों की ताकत बढ़ाने के साथ ही पूरे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। तितली मुद्रा या बद्ध कोणासन, तितली के पंखों से प्रेरित यह आसन कूल्हों और जांघों को लचीला बनाता है, दर्द कम करता है और तनाव जैसी मानसिक स्थिति में भी राहत देता है। हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इसके करने से चेहरे पर चमक भी आती है।
वहीं, मकरासन मगरमच्छ की तरह स्थिर मुद्रा में रहने वाला वह आसन है जो तनाव कम करता है और रीढ़ को आराम देता है।
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Created On :   17 Jun 2025 4:36 PM IST