राष्ट्रीय: बिहार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मत्स्य पालन में वृद्धि और रोजगार का हो रहा सृजन

बिहार  प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मत्स्य पालन में वृद्धि और रोजगार का हो रहा सृजन
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) बिहार में भागलपुर के लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना से न सिर्फ मत्स्य पालन में वृद्धि हुई, बल्कि रोजगार का सृजन भी बड़े पैमाने पर हुआ। पीएमएमएसवाई से जिले के 150 किसान लाभान्वित हैं।

भागलपुर, 2 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) बिहार में भागलपुर के लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना से न सिर्फ मत्स्य पालन में वृद्धि हुई, बल्कि रोजगार का सृजन भी बड़े पैमाने पर हुआ। पीएमएमएसवाई से जिले के 150 किसान लाभान्वित हैं।

"जल, जलकर, जलदस्यु" कभी बिहार में चर्चा में था। जल पर अवैध जलकर वसूलना और जलदस्यु का कब्जा होना आम बात थी। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की डबल इंजन वाली सरकार और सितंबर 2020 में केंद्र सरकार की पीएमएमएसवाई की शुरुआत हुई तो उसके बाद से न सिर्फ मत्स्य पालन में वृद्धि हुई, बल्कि रोजगार का सृजन भी बड़े पैमाने पर हुआ।

बढ़ती ग्रामीण आबादी को ध्यान में रखते हुई जल संग्रहण क्षेत्र में नीली क्रांति लाने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की गई। उसका सकारात्मक असर बिहार पर हुआ। बिहार के कई इलाकों में मत्स्यजीवी सहकारी सहयोग समिति बनाकर हजारों समितियां न सिर्फ मछली पालन कर रही हैं, बल्कि बिहार से पंजाब और बंगाल को भी निर्यात करने लगी है।

बिहार में भागलपुर के जिला मत्स्य अधिकारी कृष्ण कन्हैया ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) से 150 किसान लाभान्वित हैं।

उन्होंने बताया कि भागलपुर के कहलगांव, बिहपुर, नारायणपुर, नवगछिया, शाहकुंड और गोराडीह में सैकड़ों किसान अब मत्स्य पालन में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जब से बिहार सरकार के जल जीवन हरियाली मिशन की शुरुआत हुई है, इलाके में तालाबों का जीर्णोद्धार भी हुआ है। नतीजतन नए तालाब का निर्माण, फीड मिल और हैचरी बनाने का कारोबार बढ़ गया है।

कृष्ण कन्हैया ने बताया कि इलाके में आठ टन और 20 टन का मछली पालन के लिए फीड मिल भी किसानों द्वारा संचालित है। बिहार में सीएम समेकित चौर विकास योजना ने प्रधानमंत्री मंत्री मत्स्य संपदा योजना में जान डाल दिया है। इसमें आईएफएस मॉडल से किसानों को मछली पालन के साथ कई फायदे हो रहे हैं। तालाब में 60 प्रतिशत वाटर एरिया और बांध पर 40 प्रतिशत ग्रीन एरिया रखने का प्रावधान किया गया है। भागलपुर में जगतपुर, नारायणपुर, बिहपुर, पीरपैंती इलाके में मत्स्यपालक किसानों ने इसका फायदा भी लिया है।

जिला मत्स्य अधिकारी ने बताया कि नेशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भागलपुर से तकरीबन 635 फिशरीज सोसायटी रजिस्टर्ड है, जिन्हें 90 हजार से एक करोड़ रुपए तक की सहायता भारत सरकार दे रही है। मत्स्यजीवी सहकारी सहयोग समिति के अलावा तीन हजार की संख्या में इंडिविजुअल मछली उत्पादक किसान रजिस्टर्ड हैं जबकि 400 अन्य अप्रूवल की प्रक्रिया में हैं और 300 की संख्या में अप्रूव किया जा चुका है। कुल मिलाकर कहें तो यह योजना एनएफडीसी और समेकित चौर विकास योजना मत्स्यपालक किसानों के लिए वरदान है।

जिले के बिहपुर प्रखंड में झंडापुर के मत्स्य उत्पादक किसान सौरभ कुमार ने बीटेक और एमबीए के बाद नौकरी छोड़ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से 40 लाख रुपए अनुदान लेकर न सिर्फ खुद का रोजगार कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।

राघोपुर बिंदटोली के मत्स्य पालक किसान शैलेन्द्र महतो ने बताया कि योजना के तहत नौ लाख 71 हजार रुपए की राशि मछली उत्पादन के लिए अनुदान में मिली है। इस योजना के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है। उन्होंने बताया कि अब उनके और दूसरे लोगों के बच्चे मजदूरी के लिए बाहर नहीं जाएंगे।

मछली उत्पादक किसान अभिषेक का कहना है कि पहले जलदस्यु की दबंगई रहती थी। लेकिन अब हालात बहुत बदल गए हैं।

नवगछिया में गोनरचक परबत्ता के मछली उत्पादक किसान अमरेंद्र निषाद ने बताया कि सरकार की इस योजना से समाज में संपन्नता बढ़ी है, पलायन कम करने में मदद भी मिल रही है।

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Created On :   2 July 2025 6:34 PM IST

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