राजनीति: चुनाव आयोग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता खतरे में, पुनर्विचार जरूरी आनंद दुबे

चुनाव आयोग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता खतरे में, पुनर्विचार जरूरी  आनंद दुबे
शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने चुनाव आयोग की कार्यशैली और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है और बार-बार चुनावों में धांधली व भ्रष्टाचार की घटनाएं सामने आ रही हैं।

मुंबई, 24 जुलाई (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने चुनाव आयोग की कार्यशैली और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है और बार-बार चुनावों में धांधली व भ्रष्टाचार की घटनाएं सामने आ रही हैं।

शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि विपक्ष के नेताओं पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। बार-बार चुनाव में धांधली और भ्रष्टाचार की घटनाएं सामने आती हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं। अगर हमें पहले से ही पता है कि चुनाव में गड़बड़ियां होंगी, तो ऐसे चुनावों में भाग लेने का क्या मतलब रह जाता है? जब तक चुनाव आयोग निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं बनता और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक लोकतंत्र की साख पर संकट बना रहेगा। चुनाव की प्रक्रिया पर पुनर्विचार जरूरी है।

आनंद दुबे ने आगे कहा कि चुनाव आयोग की कार्यशैली पर बार-बार सवाल उठ रहे हैं, जिससे उसकी निष्पक्षता पर शंका गहराती जा रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में तेजस्वी यादव भी यह सोचने को मजबूर हैं कि क्या चुनाव का बहिष्कार किया जाए। अगर किसी गांव में 100 लोग हैं, 50 ने वोट दिया, और सिर्फ 10 ने बीजेपी को वोट किया, फिर भी परिणाम में 51 वोट बीजेपी को दिखाए जा रहे हैं तो यह गंभीर संदेह पैदा करता है। जब तक पारदर्शिता नहीं होगी, लोकतंत्र की विश्वसनीयता खतरे में रहेगी।

उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने असली-नकली शिवसेना या राष्ट्रवादी कांग्रेस तय करने का जो सिलसिला शुरू किया है, वह गलत है। संगठन और नेता जनता तय करती है, न कि चुनाव आयोग। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और 20 अगस्त की सुनवाई से स्थिति स्पष्ट होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी का गुलाम बनकर काम कर रहा है, जो सबको दिख रहा है। बिहार चुनाव से लेकर महाराष्ट्र विधानसभा 2024 तक में बड़े स्तर पर धांधली हुई है। अब आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ चुके हैं, जो चिंता का विषय है।

वहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने बयान दिया है कि अगर हिंदी का विरोध किया जाएगा तो महाराष्ट्र और मुंबई में इन्वेस्टर कैसे आएंगे। उनके इस बयान पर आंनद दुबे ने असहमति जताते हुए कहा कि कहा कि हम महामहिम राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन का सम्मान करते हैं, लेकिन यह कहना कि मराठी न बोल पाने या किसी घटना से निवेशक भाग जाएंगे, यह तर्क सही नहीं है। निवेशक तब भागते हैं जब सरकारें अस्थिर होती हैं। महाराष्ट्र में उद्योग बढ़ रहे हैं, रोजगार आ रहे हैं, और मराठी व उत्तर भारतीय भाईचारे से रहते हैं। इक्का-दुक्का घटनाओं से पूरे समाज को बदनाम नहीं किया जा सकता। हम राज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि अगला भाषण मराठी में दें, ताकि मराठी का सम्मान हो और समाज में एकता का संदेश जाए।

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Created On :   24 July 2025 9:57 PM IST

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