राष्ट्रीय: उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को पाठ्यक्रम में शामिल करने का किया समर्थन

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने का किया समर्थन
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों में 'ऑपरेशन सिंदूर' को शामिल करने के फैसले पर टिप्पणी करते हुए उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शमून कासमी ने रविवार को इस कदम की सराहना की और कहा कि इससे युवाओं को भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता से अवगत कराया जा सकेगा।

देहरादून, 27 जुलाई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों में 'ऑपरेशन सिंदूर' को शामिल करने के फैसले पर टिप्पणी करते हुए उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शमून कासमी ने रविवार को इस कदम की सराहना की और कहा कि इससे युवाओं को भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता से अवगत कराया जा सकेगा।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने इस दिशा में पहले ही एक सक्रिय कदम उठाया है। 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को गौरवान्वित किया है। भारतीय सेना के पराक्रम को देश की जनता के सामने रखा है। इसकी मैं प्रशंसा करता हूं।

उन्होंने कहा कि हमने राज्य के सभी मदरसों के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर' को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना अनिवार्य कर दिया है। हमारे बच्चों को यह जानना चाहिए कि कैसे भारतीय सेना ने बहादुरी से पाकिस्तान और पीओके के अंदर जवाबी हमला किया, जो एक ऐसा देश है, जिसका कोई संविधान नहीं है और जो आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।

उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस प्रस्ताव का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद् गीता और रामायण को शामिल करने का प्रस्ताव रखा था।

उन्होंने कहा कि अगर भगवान राम के जीवन को छात्रों के सामने लाया जाए, तो यह उनके व्यवहार में बदलाव लाएगा। जब युवा भगवान राम के जीवन के बारे में पढ़ेंगे, तो वृद्धाश्रमों की संख्या भी कम होगी, क्योंकि भगवान राम 'मर्यादा पुरुषोत्तम' हैं, मर्यादा और कर्तव्य के आदर्श पुरुष। गीता की शिक्षाएं आत्म-अनुशासन और धार्मिकता को भी बढ़ावा देती हैं।

कासमी ने यह भी कहा कि धर्म को राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए, लेकिन राष्ट्र धर्म से भी ऊपर है। यही सर्वोच्च सिद्धांत है।

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Created On :   27 July 2025 8:53 PM IST

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